पांडवों ने एक रात में किया था एकविरा देवी मंदिर का निर्माण, जानिए पौराणिक कथा

ram

महाभारत काल की कई कहानियां हम सभी ने पढ़ व सुन रखी हैं। महाभारत से मनुष्य को कई सीखें भी मिलती हैं। जैसे महाभारत काल में पांडवों ने धर्म के रास्ते पर चलते हुए बुरे और संघर्ष भरे दिनों का सामना किया था। इन दिनों से निकलने के लिए पांडवों ने काफी संघर्ष भी किया था। वहीं पांडवों ने सत्य की जीत और बुराई की हार के लिए भगवान श्रीकृष्ण के अलावा कई अन्य देवी-देवताओं की सहायता ली थी। पांडवों ने संघर्ष भरे दिनों से मुक्ति पाने और मां की कृपा पाने के लिए देवी एकविरा की कठोर तपस्या की थी। देवी एकविरा की कृपा से पांडवों के अज्ञातवास के दिन आसान हो गए थे। तो ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको देवी एकविरा मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं।

कहां हैं एकविरा देवी मंदिर
बता दें कि महाराष्ट्र के मुंबई से करीब 100 किमी दूर लोनावला स्थित है। लोनावला प्राकृतिक रूप से बेहद खूबसूरत जगह है। यहां पर कार्ला गुफाएं हैं, जहां एकविरा देवी का प्राचीन मंदिर है। पौराणिक मान्यता है कि यह मंदिर कई सालों पुराना है। जिन गुफाओं के ठीक बगल में एकविरा देवी की पूजा की जाती है, उसे कभी बौद्ध धर्म का केंद्र माना जाता था।

एक रात में बना था ये मंदिर
एकविरा देवी की चुनौती को स्वीकार करते हुए पांडवों ने एक रात में लोनावला पहाड़ियों के बीच एकविरा देवी के मंदिर का निर्माण कर दिया। जब मंदिर का निर्माण हो गया, तो पांडवों ने मां का आह्वान किया और उन्हें दर्शन देने के लिए कहा। पांडवों का आह्वान सुनकर एकविरा देवी ने उन्हें दर्शन दिया और उनको वरदान दिया कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों को कोई भी पहचान नहीं पाएगा। जिससे उनका अज्ञातवास सरलता से पूरा हो जाएगा।

मां ने पांडवों को दिए थे दर्शन
पौराणिक कहानी के अनुसार, महाभारत काल के दौरान जब पांडवों को अज्ञातवास हुआ, तो पांडव भाई दुखी होकर अपने साथ हुए अन्याय की बातें कर रहे थे। तभी एकविरा देवी ने पहाड़ियों से उनकी बातें सुनीं और उनका मन पीड़ा से भर उठा। ऐसे में एकविरा देवी ने पांडवों को कष्ट से निकालने के लिए उनकी सहायता भी की। देवी ने कहा कि वह पांडवों की नियति को नहीं बदल सकती हैं, क्योंकि तुम सभी ने एक महान कार्य को पूरा करने के लिए जन्म लिया है। तुम्हारी वजह से युग परिवर्तन होगा। ऐसे में मैं तुम्हें इन संघर्ष भरे दिन से निकालने के लिए तुम्हारी सहायता जरूर करूंगी।

पांडवों की ली परीक्षा
देवी एकविरी की बात सुनकर पांडव मां के आगे नतमस्तक हो गए। तब देवी ने पांडवों की परीक्षा लेने के लिए कहा कि यदि वह अपने अज्ञातवास को सरल बनाता चाहते हैं, तो उन्हें इस स्थान पर मंदिर का निर्माण करना होगा। लेकिन मंदिर का निर्माण अगले दिन सुबह होने से पहले हो जाए। यानी की मंदिर एक रात में बन जाना चाहिए। माता की बात सुनकर पांडव समझ गए कि देवी एकविरा उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति देखना चाहती हैं।

ऐसे पहुंचे मंदिर
एकविरा देवी मंदिर कई नामों से जाना जाता है। कई लोग एकविरा देवी को रेणुका देवी भी कहते हैं। ऐसे में अगर आप भी एकविरा देवी मंदिर के दर्शन के लिए जाना चाहते हैं, तो बता दें कि यह पूणे से 60 किमी और मुंबई से 100 किमी दूर है। वहीं लोनावला से इस मंदिर की दूरी करीब 10 किमी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *