झूठ,फरेब, साजिश, धोखाधड़ी ये सारे शब्द पाकिस्तान पर एकदम फिट बैठते हैं। ये भी कहना गलत नहीं होगा कि यही पाकिस्तान की फितरत है। मगर इस बार पाकिस्तान ने तो हद ही कर दी। चंद पैसों की खातिर अब अपना आका ही बदल दिया। अब तक जो पाकिस्तान जिनपिंग के सुर मिलाता था, उनके आगे मदद के लिए अपनी झोली फैलाता था। अब उसी जिनपिंग को छोड़ वो ट्रंप के कदमों में जा गिरा। ऐसे में अब कहा जाने लगा है कि पाकिस्तान चीन की बजाए अमेरिका का हुक्म बजाएगा। 20 जनवरी को ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। गौर करने वाली बात ये है कि ट्रंप ने अपने शपथग्रहण समारोह में पाकिस्तान को तरजीह नहीं दी। बस इसी बात से शहबाज शरीफ के पैरों तले जमीन खिसक गई। बस फिर क्या था, मौकापरस्त पाकिस्तान ने अपना पाला बदल लिया। एक झटके में चीन के बजाए अमेरिका को अपना आका बना लिया। दरअसल, अमेरिका से एक खबर सामने आई कि पाकिस्तानी गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने चीन के कुछ नेताओं से मीटिंग की।
ये चीनी नेता एंटी सीसीपी यानी जिनपिंग की विरोधी पार्टी से जुड़े हुए हैं। जिनपिंग के विरोधियों को ट्रंप ने अपने शपथग्रहण समारोह में बुलाया था। लिहाजा शहबाज के मंत्री ने वाशिंगटन में एंटी सीसीपी नेताओं से मुलाकात की। इस खबर के सामने आते ही पाकिस्तान में हड़कंप मच गया। अब तक पाकिस्तान जिनपिंग की गाता था। उसी के आगे झोली फैलाता था। लेकिन दूसरी ओर शहबाज के मिनिस्टर अमेरिका में जिनपिंग के विरोधियों से हाथ मिला रहे हैं। हालांकि बवाल बढ़ता देख पाकिस्तान ने मोहसिन नकवी के इस दौरे को निजी बताया। जबकि पाकिस्तानी सरकार के कुछ मंत्री मोहसिन नकवी के वाशिंगटन दौरे को लेकर अलग अलग दावे कर रहे हैं। लेकिन जब इस मामले पर खुद मोहसिन नकवी से सवाल किया गया तो उन्होंने इन खबरों को प्रोपोगैंडा करार दिया। इस विवाद के सामने आने के बाद पाकिस्तानी आवाम भी अपने हुक्मरानों पर भड़की हुई है।