नई दिल्ली। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। देश की सर्वोच्च अदालत ने निर्वाचन आयोग की इस पहल को गलत नहीं ठहराया, लेकिन इसके समय पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि “मतदाता सूची से गैर-नागरिकों को हटाने का प्रयास उचित है, लेकिन यह प्रक्रिया अगर चुनाव से कुछ महीने पहले शुरू की जाती है, तो उसकी मंशा और प्रभाव पर सवाल उठना स्वाभाविक है।” जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग को वोटर लिस्ट की शुद्धता बनाए रखने का पूरा अधिकार है, लेकिन इसकी टाइमिंग लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर असर डाल सकती है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष 10 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं। प्रमुख याचिकाकर्ताओं में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के साथ-साथ कई विपक्षी दलों के सांसद शामिल हैं।
बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सुधार गलत नहीं लेकिन टाइमिंग पर सवाल
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