संविधान दिवस पर दिलाई शपथ, जिलेभर में हुये विविध आयोजन, बांगड स्कूल में बच्चो को दिलाई शपथ

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पाली। संविधान दिवस 26 नवम्बर को शहर सहित जिले भर में अवसर में कई कार्यक्रम आयोजित हुये। इस क्रम में जिला कलक्टर कार्यालय में जिला कलक्टर एलएन मंत्री ने संविधान की प्रस्तावना की शपथ दिलाई गयी। इस अवसर पर जिला कलक्टर मंत्री व अतिरिक्त जिला कलक्टर डॉ बजरंग सिंह, अतिरिक्त कलक्टर (सीलिंग)भवानी सिंह, यूआईटी सचिव डॉ पूजा सक्सेना सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे। इधर, बांगड़ स्कूल में संविधान दिवस मनाया गया। स्थानीय पीएमश्री बांगड़ विद्यालय में अतिरिक्त जिला कलेक्टर बंजरग सिंह के मुख्य आतिथ्य और सीडीईओ चंद्रप्रकाश जायसवाल की अध्यक्षता में संविधान दिवस सभा कर मनाया गया। कार्यक्रम संयोजक व संस्था प्रधान बसंत कुमार परिहार ने बताया कि इस अवसर पर विद्यालय में प्रदर्शनी एवं व्याख्यान रखा गया। अतिथियों और छात्रों ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया। सहायक निदेशक सोहनलाल भाटी और उपप्राचार्य जयनारायण कड़ेचा ने कार्यक्रम में अतिथि के रूप में शिरकत की। अतिरिक्त कलक्टर सिंह ने संविधान की उद्देशिका का वाचन कर सभी को संविधान की शपथ दिलाई।
सभा में व्याख्याता सत्यनारायण राजपुरोहित ने संविधान निर्माण की प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 1757 के प्लासी के युद्ध और 1764 के बक्सर के युद्ध के उपरांत अंग्रेज बंगाल के स्वामी बन गए। 1858 में ब्रिटिश क्राउन ने नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया और 1861 से भारत शासन अधिनियम लागू किया जाने लगा। 1909 ई के मॉर्ले-मिंटो सुधार में पृथक् प्रति.निधित्व की व्यवस्था की गई। वहीं 1919 के अधिनियम के मॉण्ट-फोर्ड सुधारों में केंद्र में द्विसदनात्मक व्यवस्था और प्रांतों में द्वैध शासन स्थापित किया गया। 1935 के भारत सरकार अधिनियम की 451 धाराओं और 15 परिशिष्टों में भारत परिषद् का अंत करते हुए केंद्र में द्वैध शासन और प्रांतीय स्वायत्तता स्थापित कर अखिल भारतीय संघ का गठन करते हुए संघीय न्यायालय का प्रावधान किया गया। किंतु भारतीय चिंतकों ने इसमें निहित ब्रिटिश शासन की सर्वाेच्चता को नकार दिया। कैबिनेट मिशन की संतुस्तियों पर जुलाई 1946 में संविधान सभा का गठन किया गया। जिसके 389 सदस्यों में 292 ब्रिटिश प्रांतों, चार चीफ कमीशन क्षेत्रों और 93 देशी रियासतों से थे। पाकिस्तान के विभाजन के बाद यह संख्या 299 रह गई। 9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक में डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को अस्थायी अध्यक्ष बनाया गया तथा 11 दिसंबर को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को स्थायी अध्यक्ष चुना गया। 13 दिसंबर की बैठक में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव रखा। संविधान सभा के सलाहकार बी.एन.राव के प्रारूप पर विचार विमर्श के लिए 29 अगस्त 1947 को वरिष्ठ विद्वान और कानूनविद् डॉ.भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता में सात सदस्यीय प्रारूप समिति का गठन किया गया। 21 फरवरी 1948 को इस समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। संविधान के तीन वाचन हुए और 26 नवंबर को अंतिम वाचन की समाप्ति के उपरांत संविधान सभा द्वारा संविधान पारित किया गया जिसमें 284 सदस्य उपस्थित रहे। इस प्रक्रिया में दो वर्ष ग्यारह माह और अठारह दिन का समय लगा। प्रारूप पर 114 दिन बहस हुई और संविधान निर्माण में कुल 63,96,729 रुपए व्यय हुए। इस संविधान में 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियाँ थीं। वर्तमान में 12 अनुसूचियां हैं। संविध.ान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी 1950 को हुई जिसमें डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया। 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया। यह उस गुलदस्ते सा है जिसमें आदर्श विचारों के सभी फूलों की महक समाहित है। कालांतर में आवश्यकतानुसार इसमें संशोधन होते रहे और यह पुष्पित, पल्लवित और परिवर्धित होता रहा।इस अवसर संस्था प्रधान बसंत परिहार ने कहा कि हमारे पुरखों ने जो हमें उचित मार्ग दिखाया है उस चलते हुए हम एक आदर्श समाज की स्थापना कर सकते हैं।
मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी सीपी जायसवाल, सहायक निदेशक जिला सूचना एव जनसंपर्क कार्यालय पाली सहायक निदेशक समग्र शिक्षा सोहन लाल भाटी, बसंत परिहार प्रध.ानाचार्य बांगड़ स्कूल पाली जयनारायण कडेचा उप प्राचार्य राउमावि सोडावास, मंच का संचालन सत्यनारायण राजपुरोहित ने किया। इस अवसर पर उपप्राचार्य धीरज शर्मा, रविन्द्र ठेबरा, संजीव शर्मा, शंकर सिंह, महेश व्यास, गणपत पन्नू मुकेश अन्य स्टाफ साथी और छात्र छात्राएँ उपस्थित रहे।

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