“पोषण, परिवार और दुलार, पुरुष बनें बराबर के जिम्मेदार” का किया विमोचन

ram

जयपुर। पोषण अभियान अंतर्गत महिलाओं और बच्चों की पोषण व देखभाल हेतु परिवार में पुरुषों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार पुरुषों की प्रेरक कहानियों की पुस्तिका”पोषण, परिवार और दुलार, पुरुष बनें बराबर के जिम्मेदार” का विमोचन शुक्रवार को निदेशालय समेकित बाल विकास सेवाएं मुख्यालय पर शासन सचिव महिला एवं बाल विकास डॉ. मोहन लाल यादव तथा निदेशक ओ पी बुनकर द्वारा किया गया। इस अवसर पर मंजरी पंत , एस.बी.सी विशेषज्ञ, यूनिसेफ़, अतिरिक्त निदेशक चाँदमल वर्मा, संजय शर्मा, जेपीसी डॉ. मंजू यादव तथा यूनिसेफ के स्टेट कंसल्टेंट प्रियांशु शर्मा सहित अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।

शासन सचिव महिला एवं बाल विकास डॉ. मोहन लाल यादव ने बताया कि समेकित बाल विकास सेवाएं की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, महिला परिवेक्षकों और स्वास्थ्य विभाग की आशा सहयोनियों के माध्यम से तथा यूनिसेफ़ की टीम की ओर से किये गए तकनिकी सहयोग के आधार पर जिम्मेदार पुरुषों की पहचान कर उनकी प्रेरक कहानियों के आधार पर यह पुस्तिका तैयार की गई है।
शासन सचिव ने बताया कि समाज में पुरुष और महिला एक दूसरे के पूरक है। जिस तरह महिलाएं आगे बढकर परिवार के लिए कार्य करती हैं वहीं पुरुषों द्वारा भी बराबर से भागीदारी निभाने की आवश्यकता है। समाज मे गर्भवती महिलाओं और बच्चों के पोषण व देखभाल की ज़िम्मेदारी प्राय: परिवार की महिलाओं की समझी जाती हैं, ऐसी पारम्परिक मान्यता को चुनौती देते हुए अनेक जिम्मेदार पुरुष सामाजिक सोच और मान्यताओं की चिंता किए बिना अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए पत्नि या बच्चों की देखभाल में आगे बढ़कर अहम भूमिका निभा रहें हैं। उक्त पुस्तिका में ही ऐसे ही सच्चे हीरो पुरुषों की सफलता की कहानियाँ संकलित की गई है।

निदेशक समेकित बाल विकास सेवाएं ओ पी बुनकर ने बताया कि जिम्मेदार पुरुष अपनी गर्भवती पत्नी तथा आने वाले बच्चे के स्वास्थ्य के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए पत्नी की स्वास्थ्य जांच में साथ जाते हैं, पौष्टिक भोजन व आयरन की गोली खाने के लिए प्रेरित करते हैं, घर के काम में भी सहयोग करते हैं, बच्चों के साथ खेलने में समय बिताते हैं और उनके दैनिक कार्यों में मदद भी करते हैं। ऐसे कई उदाहरण हमें समाज में देखने को मिले हैं।

बुनकर ने बताया कि परिवार में पुरुष सदस्य जैसे गर्भवती महिला के पति या बच्चे के पिता को जागरूक करने और सार्थक तरीके से बातचीत में शामिल करने से बेहतर पोषण परिणाम प्राप्त होते हैं, ऐसा देश और विदेश में हुए कई अध्ययन और विशेषज्ञों के अनुभव हमें बताते हैं। विभाग की ओर से महिलाओं और बच्चों का पोषण व देखभाल सुनिश्चित करने के लिए पारंपरिक भूमिकाओं को फिर से परिभाषित करने और अधिक समावेशी दृष्टिकोण अपनाने हेतु प्रयास किये जा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि राज्य के विभिन्न जिलों से ऐसे ही कुछ रोल-मॉडल या जिम्मेदार पुरुषों की कहानियों को युनिसेफ के तकनिकी सहयोग से संग्रहित कर पुस्तिका के रुप में प्रस्तुत किया गया है। यह कहानियाँ अन्य पुरुषों को अपने परिवार के पोषण और देखभाल हेतु सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करेंगी और समाज में अधिक समावेशी दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए मददगार होंगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *