निंबाहेड़ा : 30 उपवास का प्रत्याख्यान कर ममता बंब बनीं प्रेरणा का स्रोत- मुनि श्री युग प्रभ का भावपूर्ण प्रवचन

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निंबाहेड़ा। पर्युषण पर्व के प्रथम दिन नवकार भवन, निम्बाहेड़ा में आयोजित धर्मसभा में मुनि श्री युग प्रभ जी महाराज ने गूढ़ और प्रभावशाली शब्दों में आत्मकल्याण के मार्ग पर चलने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि आत्मा पर लगे कर्मों का भार ही संसार का मूल कारण है, और जब तक यह भार नहीं हटेगा, मोक्ष की प्राप्ति असंभव है। मुनि श्री ने कहा कि मनुष्य को बाहरी बोझ- जैसे हाथ, पीठ या कंधे का बोझ तो सहजता से अनुभव हो जाता है, परंतु आत्मा पर पड़े कर्मों के बोझ का एहसास बहुत ही दुर्लभ होता है। उन्होंने कहा कि पर्यूषण पर्व आत्मा के बोझ को कम करने का एक उत्तम साधन है। उन्होंने आगे कहा कि पहले के समय में पर्वों को अत्यंत श्रद्धा और आत्मभाव से मनाया जाता था, पर आज वह गहराई और भावना कम होती जा रही है। पर्यूषण पर्व को मुनिश्री ने ष्ट्यूशनष् की संज्ञा दी- जैसे छात्र स्कूल के साथ ज्ञानवृद्धि हेतु ट्यूशन लेते हैं, वैसे ही धर्मपथ पर चलने वाले श्रावक-श्राविकाएं इन आठ दिनों में सांसारिक क्रियाओं को त्यागकर आत्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होते हैं। मुनिश्री ने जीवन में संयम, सद्विचार और सच्चे आचरण की महत्ता बताते हुए कहा कि जो व्यक्ति बुरे विचारों, बुरे वचनों और बुरे कर्मों से स्वयं को बचा लेता है, वही आत्मविकास की दिशा में आगे बढ़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अच्छा न कर पाने से इतना नुकसान नहीं होता जितना बुरा करते रहने या गलत प्रवृत्तियों को न छोड़ने से होता है। उन्होंने विजातीय दर्शन की आलोचना करते हुए कहा कि आज मानव अपने आत्मिक कल्याण के स्थान पर भौतिक व भ्रमकारी विचारों में अधिक लिप्त हो गया है, जो आत्मा को पतन की ओर ले जाता है। संत दर्शन के महत्व पर बल देते हुए मुनि श्री ने कहा कि संतों का सान्निध्य आत्मा को शुद्ध करता है और भ्रम से मुक्ति दिलाता है। धंधे और नैतिकता पर बोलते हुए मुनि श्री ने कहा कि श्रावक को व्यापार अवश्य करना चाहिए, परंतु वह अंधा नहीं होना चाहिए। जब मनुष्य नीति और नैतिकता से धन कमाता है, तो न केवल उसका धन बढ़ता है, बल्कि उसका संसार भी समृद्ध होता है। धर्मसभा के प्रारंभ में अंतगड़ सूत्र का वाचन श्री अभिनव मुनि जी म.सा. द्वारा किया गया। सभा में विशेष रूप से श्रीमती ममता बंब (धर्मपत्नी राकेश बंब) द्वारा 30 उपवास का प्रत्याख्यान ग्रहण किया गया, जो समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बना। उनका सम्मान संगीता जैन एवं राकेश बंब द्वारा किया गया। धर्मसभा में मुंबई, अमरपुरा, सतकंडा, लसड़ावन, नयागांव, नीमच, उदयपुर, बिनोता, कांकरोली सहित अनेक स्थानों से श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे। सभा का संचालन सौरभ भड़क्तिया ने कुशलता से किया।

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