जीएसटी का नया दौर: कराधान व्यवस्था क्रांति की ओर

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भारतीय कराधान व्यवस्था में जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) का आगमन एक ऐतिहासिक एवं क्रांतिकारी कदम था। इसने अप्रत्यक्ष करों के जटिल और उलझे जाल को जहां सरल बनाने का प्रयास किया, वहीं शासन एवं प्रशासन में पसरे भ्रष्टाचार एवं अफसरशाही को भी काफी सीमा तक नियंत्रित किया। सुधार, सुविधा एवं जनता को राहत देने के लिये किये इस प्रयास के बावजूद इसमें अनेक जटिलताएं एवं भारी-भरकम कराधान जनता को बोेझिल किये हुए था, इस बात को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार लम्बे समय से महसूस कर रही थी, इसीलिये इसवर्ष स्वतंत्रता दिवस के लालकिले के उद्बोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने जीएसटी को अधिक सुगम एवं जनता के हित में करने की घोषणा की। अब सरकार ने इसे और सुसंगठित करते हुए केवल दो स्लैब्स में कराधान को समेट दिया है और कर भी काफी कम कर दिये हैं तो निश्चय ही यह उपभोक्ताओं और कारोबारियों दोनों के लिए राहतकारी है। इसमें मिडल एवं लोअर क्लास का व्यापक ध्यान रखते हुए उन्हें राहत दी गयी है, जिससे हर परिवार के पास ज्यादा खर्च करने लायक आमदनी बचेगी और लोग अन्य वस्तुओं एवं सेवाओं पर अधिक खर्च कर सकेंगे। इन बड़े एवं क्रांतिकारी सुधारों से खपत बढ़ेगी, विकास को तीव्र गति मिल सकेगी। निश्चित ही यह एक नए कराधान युग का सूत्रपात है, जिसमें कर प्रणाली अधिक पारदर्शी, सरल और उपयोगी बनने की ओर अग्रसर है।

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