नए आपराधिक कानून 1 जुलाई से हुए प्रभावी

ram

बारां। देशभर में 1 जुलाई से नए आपराधिक कानून लागू हो गए है। देशभर में अब इंडियन पीनल कोड यानि आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड यानी सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 लागू हो गया है। जिला पुलिस अधीक्षक राजकुमार चौधरी ने बताया कि नए आपराधिक कानूनों के जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि लोगों को त्वरित न्याय मिले। इसके लिए नई तकनीकों को पूरी प्रक्रिया में शामिल किया गया है। भारतीय न्याय संहिता 2023 कानूनी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और पीड़ित की भागीदारी को बढ़ावा देता है। इसके साथ ही न्याय वितरण में कानून प्रवर्तन की भूमिका को और मजबूत बनाता है।
यह होंगे आमजन के हितों को बढावा देने वाले प्रमुख प्रावधान
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि नए आपराधिक कानून में नागरिकों के मूल अधिकारों की सुरक्षा को प्राथमिकता प्रदान की गई है। कानूनी प्रक्रियाओं के पालन और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तलाशी और जब्ती की प्रक्रिया की अनिवार्य रिकॉर्डिंग का प्रावधान है। जीरो एफआईआर का प्रावधान किया गया है जिससे कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवा सकता है। इस प्रक्रिया से न केवल कानूनी प्रक्रिया में तेजी आएगी अपितु पीड़ित को शीघ्र न्याय का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा। अनावश्यक गिरफ्तारी पर रोक के प्रावधान को शामिल किया गया है। जिससे छोटे अपराधों में पुलिस द्वारा नोटिस दिया जाकर व्यक्ति को गिरफ्तारी से छूट प्रदान की जा सकेगी। केवल पुलिस हिरासत की अवधि बकाया होने के आधार पर जमानत से इनकार पर रोक का प्रावधान किया गया है। ई एफआईआर का प्रावधान किया गया है। जिसमें व्यक्ति विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है। भष्ट्राचार में लिप्त लोकसेवकों के विरूद्व मुकदमा चलाने के लिए सरकार से मंजूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया को समयबद्व किया गया है, जो कदाचार के आरोपियों के विरूद्व कार्यवाही में अनुचित देरी को रोकता है।
उन्होंने बताया कि कानूनी शब्दावली में विभिन्न लिंगों के प्रति समानता को बढ़ावा देते हुए लिंग निरपेक्ष शब्दों को जोड़ा गया है। मानसिक विमंदितों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण को अपनाने के लिए पागल, उन्मादी, मंदबुद्वि जैसे शब्दों के स्थान पर बौद्विक विकलांगता शब्द को काम लिया गया है। आम आदमी को अपने मुकदमे की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए 90 दिन होने पर परिवादी को उसके मुकदमे की स्टेटस रिपोर्ट दिए जाने का प्रावधान किया गया है। पहली बार के अपराधियों के लिए करुणा के साथ न्याय के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए बिना किसी पूर्व आपराधिक इतिहास वाले व्यक्तियों के प्रति सहानुभूति पूर्ण दृष्टिकोण रखा गया है। नए कानून का उद्देश्य दंड देना नहीं अपितु न्याय करना है, जिसके तहत प्रतिशोध के स्थान पर पुनर्वास की भावना को केंद्र में रखा गया है। नए अपराधी कानून में युवाओं के प्रति एक ऐसे भविष्य की कल्पना की गई है जहां छोटे मोटे अपराधों के लिए दंड के स्थान पर सामुदायिक सेवा को दंड के रूप में शामिल किया गया है, जो ऐसे व्यक्तियों को प्रायश्चित के तौर पर सामुदायिक सेवा कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का अवसर प्रदान करेगा।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि नवीन प्रावधान के तहत पहली बार के छोटे अपराध के विचाराधीन कैदियों के लिए जमानत के प्रावधानों को और अधिक उदार बनाया गया है जिससे उन्हें गलतियों को सुधारने का अवसर प्राप्त हो सकेगा। छोटा अपराध करने वाले प्रथम बार के अपराधियों को जुर्म स्वीकार करने पर सजा का एक चौथाई या छठा भाग तक की ही सजा दी जाने का प्रावधान किया गया है। जिससे उन्हें अपनी गलतियों को सुधारने का तथा पुनः समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का अवसर प्राप्त हो सकेगा। भीड़ के रूप में उन्माद के द्वारा आम व्यक्तियों के द्वारा की गई गैर इरादतन हत्याओं की बढ़ती प्रवृति पर अंकुश लगाने के लिए मॉब लिचिंग पर अंकुश का प्रावधान किया गया है, जिसमें पांच या अधिक व्यक्तियों द्वारा एक समूह के रूप में, लिंग वंश जाति समुदाय भाषा अथवा व्यक्तिगत विश्वास के आधार पर किसी व्यक्ति की हत्या किए जाने या गम्भीर चोट पहूंचाने पर ऐसे समूह के प्रत्येक सदस्य को मृत्युदंड और आजीवन कारावास से दंडित किए जाने का प्रावधान किया गया है। विचाराधीन कैदियो के पुनर्वास का मार्ग प्रशस्त करने और अनावश्यक हिरासत हिरासत अवधि को कम करने के लिए प्रथम बार के अपराधी को निर्धारित अधिकतम सजा की एक तिहाई सजा काटने के बाद डिफाल्ट जमानत पर रिहा कर दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि किसी अपराधी को जमानत के लिए आवेदन करने की जिम्मेदारी अब उस जेल के जेल अधीक्षक को दे दी गई है जहां आरोपी बंद है, इस प्रकार जेल अधीक्षक को जमानत संरक्षक का दायित्व दिए जाने से न्याय प्रणाली में एक क्रांतिकारी बदलाव आएगा। नवीन आपराधिक कानून को पीड़ित केन्द्रित दृष्टिकोण के साथ तैयार किया गया है, जिसमें पीड़ित को जीरो एफआईआर तथा अपने प्रकरण की 90 दिन में हुई प्रगति के बारे में जानने का अधिकार प्राप्त हुआ है। नए आपराधिक कानून में न्याय के उद्वेश्यों को प्राप्त करने के लिए गवाह संरक्षण स्कीम का प्रावधान किया गया है, जिसमें गवाहों को धमकियां, डराने धमकाने और चोट पहूंचाकर गवाही देने से रोकने अथवा मुकरने के प्रति राज्य द्वारा उन्हें सुरक्षा प्रदान किया जाकर न्याय के अंतिम उद्वेश्य को प्राप्त करने की और एक मजबूत कदम के रूप में व्यवस्थित किया गया है।नवीन अपराधी कानून में न्यायिक सुधार हेतु उल्लेखनीय प्रावधान किए गए है जिसमें विभिन्न कार्यवाहियों को एक तय सीमा में संपन्न किए जाने के बाध्यकारी नियम बनाए गए है।
समयबद्ध तरीके से किए जाने वाले प्रमुख चरणों में प्रावधान
जिला पुलिस अधीक्षक ने बताया कि समयबद्ध तरीके से किए जाने वाले प्रमुख चरणों में प्रावधान में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से प्राप्त शिकायत को 3 दिन में दर्ज किया जाना। प्राथमिक जांच को 14 दिवस के भीतर संपन्न किया जाना, एफआईआर की प्रति तत्काल उपलब्ध करवाया जाना, चिकित्सक द्वारा चोट प्रतिवेदन पुलिस को तत्काल मुहैया करवाया जाना, बलात्कार संबंधी मेडिकल जांच रिपोर्ट 7 दिवस के भीतर प्रदान किया जाना, मुकदमें के अनुसंधान की स्टेटस रिपोर्ट 90 दिन में प्रार्थी को दिया जाना, न्यायालय द्वारा पहली सुनवाई के 60 दिवस के भीतर आरोप तय किया जाना, मजिस्ट्रेट द्वारा सेशन न्यायालय द्वारा विचरण योग्य मामले को 90 दिवस में सेशन न्यायालय को अंतरित किया जाना, अदालत में आरोप तय होने के 90 दिन बाद घोषित अपराधियों के विरूद्व उनकी अनुपस्थिति में एक तरफा सुनवाई आरम्भ किया जाना, न्यायालय द्वारा विचरण समाप्त होने के 45 दिन के भीतर निर्णय घोषित किया जाना, न्यायालय द्वारा फैसले की तारीख के 7 दिन के भीतर अपने पोर्टल पर जजमेट की कॉपी अपलोड किया जाना शामिल है।
महिलाओं एवं बच्चों को हितों को बढ़ावा देने के लिए प्रावधान
नया आपराधिक कानून बलात्कार और यौन उत्पीड़न के पीड़ितों को न्याय प्रदान करने पर ध्यान देने के साथ ही महिला के विरूद्व अपराधियों को और अधिक सख्त सजा दिलवाया जाना सुनिश्चित करता है। 18 वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं के विरूद्व अपराध के लिए गंभीर सजा का प्रावधान किया गया है, जिसमें जघन्य अपराधों के लिए आजीवन कारावास और मृत्युदंड भी सम्मिलित है। नए कानून में लोक सेवक के उत्तरदायित्व को महिला अपराधों के संबंध में और अधिक जिम्मेदार बनाया गया है। यदि लोक सेवक ब्लात्कार या महिलाओं के विरूद्व यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर अपराधों में दी गई किसी जानकारी को रिकार्ड करने में विफल रहता है तो उसके विरूद्व दाडिंक कार्यवाही आरंभ किए जाने का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने बताया कि महिलाओं के साथ ही बालकों के विरूद्व किए जाने वाले अपराधों के प्रति कठोर दंड के प्रावधान नए कानून के तहत उपाय किए गए है। बच्चों को आपराधिक गतिविधियों में नियोजित करना या बाल श्रम और वेश्यावृति में प्रति करना या बच्चों की तस्करी और खरीद फरोख्त करने वाले अपराधियों को कठोर सजा दिए जाने का प्रावधान है। विभिन्न यौन अपराधों को पीड़ित और अपराधी दोनों के संदर्भ में लिंग निरपेक्ष बनाया है। महिलाओें के साथ होने वाली चौन स्नैचिंग, बैग लिफ्ंिटग तथा मोबाइल फोन स्नैचिंग की बढ़ती घटनाओं के प्रति संवदेनशीलता को दर्शाते हुए, इसे एक अलग अपराध के रूप में चिन्हित किया जाकर, कठोर कारावास की सजा का प्रावधान है। स्नैचिंग के अपराध की गंभीरता को समझते हुए किसी गिरोह द्वारा किए जाने वाले स्नैचिंग के अपराध को छोटे संगठित अपराध के रूप में रखा है।
उन्होंने बताया कि बच्चों के विरूद्व होने वाले अपराधों के प्रति संवदेनशीलता रखते हुए ऐसे बच्चे जो अनाथ है या परित्यक्ता है या कोई हुए है या जिन्हे माता पिता ने छोड़ दिया है या जो मानसिक रूप से विकलांग है अथवा यौन उत्पीड़न के परिणाम स्वरूप उत्पन्न अवांछित संतान है, उनके पुनर्वास और समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए विशिष्ठ प्रावधान किए जाकर बाल कल्याण समिति में भेजे जाने का प्रावधान है। बच्चों के साथ हुए किसी यौन अपराध में पीड़ित की पहचान का खुलासा करने पर प्रतिबंध लगाया गया है, जिससे उसकी पहचान उजागर ना हो सके। नवीन कानून में 7 वर्ष से 12 वर्ष तक उम्र के ऐसे बच्चों द्वारा किया गया कोई कार्य अपराध नहीं माना गया है, जिनको कार्य के परिणाम का अंाकलन करने की समझ नहीं है। नए कानून के अनुसार बच्चों के विरूद्व किए गए किसी अपराध में जुर्म स्वीकार करने पर भी अपराधी के साथ कोई रियायत नहीं बरती जाएगी। किशोर बालकों द्वारा कोई अपराध कार्य किए जाने पर उन्हें पुलिस लॉकअप में नही रखे जाने और उन्हें किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत करने के प्रावधान को यथावत रखा गया है। नवीन आपराधिक विधि में महिलाओं के विरूद्व होने वाले अपराधों में संवेदनशीलता को दर्शाते हुए यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, तस्करी तथा एसिड अटैक का सामना करने वाली पीड़ित महिलाओं के लिए वन स्टॉप सेंटर की विशेष व्यवस्था का प्रावधान किया गया है। वन स्टॉप सेंटर में ऐसी महिलाओं को रूकने का प्रावधान भी है जहां उनकी सहमति के विरूद्व गर्भपात कराया जाने का अपराध किया गया हो, ताकि बच्चे को जीवित पैदा होने से रोका जा सके। महिला अपराध संबंधी मामलों में प्रकरण दर्ज करने के लिए जीरो एफआईआर तथा ई-एफआईआर का प्रावधान किया गया है। नए कानून में एक विवाहित महिला के लिए यौन सहमति की उर्म्र 15 वर्ष से बढ़ाकर 18 वर्ष कर दी गई है।
महिला सुरक्षा के लिए कुछ प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपाय
जिला पुलिस अधीक्षक ने बताया कि नए कानून में महिला की गिरफ्तारी सामान्यतः सूर्यास्त के बाद और सूर्याेदय से पहले नहीं की जाएगी। महिला की तलाशी शालीनता का ध्यान रखते हुए केवल महिला द्वारा ही ली जाएगी। किसी महिला के शरीर की जांच केवल महिला डॉक्टर द्वारा ही की जाएगी। किसी महिला के बयान यथा संभव महिला मजिस्ट्रेट द्वारा अथवा किसी महिला की उपस्थिति में मजिस्ट्रेट द्वारा लिए जाएंगे। 18 वर्ष से कम उम्र की महिला का यौन अपराध के संबंध में बयान लिए जाते समय आरोपी से आमना सामना नहीं करवाया जाना चाहिए। ब्लात्कार और यौन अपराध की सुनवाई बंद कमरे में की जाएगी, खुली अदालत में नहीं। यौन अपराध संबंधी सुनवाई यथासंभव महिला मजिस्ट्रेट या जज द्वारा की जाएगी। यौन अपराध पीड़िता को तत्काल निशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। यौन अपराध के अपराधी पर जो आर्थिक जुर्माना लगाया जाएगा वह पीड़िता के इलाज के लिए पीड़िता को दिया जाएगा।
ग्रामीण क्षेत्र के निवासियों के हितों को बढ़ावा देने के लिए यह होंगे प्रमुख प्रावधान
उन्होंने बताया कि नवीन आपराधिक विधि में पशुओं के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण करने पर बड़े हुए जुर्माने के दंड के प्रावधान किए गए है। नए कानून में गैर कानूनी अनिवार्य श्रम के करवाए जाने का निषेध यथावत् रखा गया है जिसमें कारावास एवं जुर्माना के दंड का प्रावधान है। नवीन कानून में पशुओं को मारकर या जहर देकर या अपंग करके अनुपयोगी बनाकर क्षति पहूंचाने पर बढ़े हुए दंड का प्रावधान किया गया है। नवीन आपराधिक विधि में बाढ़, आग या विस्फोटक पदार्थ आदि द्वारा शरारत करना जिसमें कृषि उद्वेश्यों के लिए पानी की आपूर्ति या मनुष्यों के लिए भोजन या पेय या जानवरों के लिए पानी की आपूर्ति को कम करने पर सजा के प्रावधानों को शामिल किया गया है।
उन्होंने बताया कि नवीन आपराधिक विधि में ग्रामीण क्षेत्र में घटित होने वाले किसी भूमि, नदी, जल, तालाब, नहर अथवा रास्ते के संबंध में ऐसे विवाद जिस पर कानून व्यवस्था प्रभावित हो सकती है को कुर्क करने तथा उसका रिसीवर नियुक्त करने के लिए कार्यपालक मजिस्ट्रेट को पर्याप्त सशक्त किए जाने हेतु प्रावधान किए गए है। नवीन आपराधिक विधि में यह प्रावधान किया गया है कि किसी गांव के मामले में नियुक्त ग्राम अधिकारियों का यह कर्तव्य है कि वह ऐसी रिपोर्ट बनाएं जिसमें- वह किसी बदमाश व्यक्ति या चोरी का माल खरीदने वाले व्यक्ति की सूचना निकटतम पुलिस थाने को देगा।
उन्होंने बताया कि ग्राम में निवास करने वाले किसी लुटेरे अथवा उद्द्योषित अपराधी के संबंध में पुलिस थाने को सूचना देगा। ग्राम में अथवा उसके आस पास किसी गैर जमानतीय संज्ञेय अपराध के गठित होने की सूचना निकटतम पुलिस थाने पर देगा। ग्राम में अथवा आसपास किसी व्यक्ति की संदिग्ध मृत्यु अथवा प्राकृतिक मृत्यु की सूचना निकटतम पुलिस थाने पर देगा। ग्राम में किसी प्रकार की कानून व्यवस्था की स्थिति अथवा किसी गोपनीय तथ्य की जानकारी निकटतम मजिस्ट्रेट या निकटतम पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को देगा।
राष्ट्रीय एकता व अखंडता के हितों का संवर्धन करने वाले एवं आपराधिक न्याय प्रणाली के प्रमुख सुधारात्मक प्रावधान
उन्होंने बताया कि नवीन आपराधिक विधि में अभिव्यक्ति और राष्ट्रीय सुरक्षा के मध्य संतुलन बनाते हुए सजा के भय के बगैर विचारों को अभिव्यक्त करने के अधिकारोें को सुरक्षित रखते हुए उन गतिविधियों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाहियों को सुनिश्चित किया गया है, जो राष्ट्र के लिए खतरा उत्पन्न करते है। नए कानून में औपनिवेशिक सोच को समाप्त करते हुए राजद्रोह के कानूनी प्रावधान को समाप्त करते हुए उसके स्थान पर देशद्रोह को स्थान दिया गया है जो स्वतंत्र भारत के लोकतांत्रिक हितों की रक्षा करता है। संगठित अपराधों से निपटने के लिए नवीन प्रावधानों को जोड़ा गया है जो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा करने वाले संगठित रूप से चलने वाली गैर कानूनी गतिविधियों के लिए नकेल कसती है। वैश्विक खतरे के रूप में आतंकवाद को रेखांकित करते हुए इसे विस्तृत रूप में परिभाषित कर मृत्युदंड और आजीवन कारावास की सजा के प्रावधान किए गए है। अंतरराष्ट्रीय अपराध वाले मामलों के लिए नए प्रावधान किए गए है साथ ही अंतर्राष्ट्रीय अपराधों में सहयोग के लिए उन्नत रूपरेखा भी तैयार की गई है। जिसकी सहायता से घोषित अपराधियों की उद्घोषणा, आतंकवादी गतिविधियां इत्यादि 100 से अधिक अपराधों को शामिल करते हुए विदेश में संपत्ति की कुर्की के प्रावधान भी किए गए है। आपराधिक न्याय प्रणाली को तकनीक की सहायता से उन्नत बनाते हुए त्वरित न्याय वितरण हेतु विभिन्न प्रावधान किए गए है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *