नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के बीच हाल ही में हुई मुलाकात के दौरान दोनों देशों ने नई राजनयिक शुरुआत करने का निर्णय लिया है। इस बातचीत में भारत और कनाडा ने एक-दूसरे की राजधानियों में नए उच्चायुक्तों की नियुक्ति पर सहमति जताई। इस निर्णय से दोनों देशों के नागरिकों और व्यापारियों को लाभ पहुंचेगा। कनाडा के प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि यह पहल आपसी सम्मान, कानून के शासन, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता जैसे मूल सिद्धांतों पर आधारित है।
व्यापार, संपर्क और कूटनीतिक तंत्र को पुनर्जीवित करने की योजना
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच हुई इस वार्ता में संबंधों को स्थिर और मजबूत करने के लिए कई संतुलित कदमों पर सहमति बनी। सबसे पहला और अहम कदम, एक-दूसरे की राजधानियों में उच्चायुक्तों की बहाली होगा। इसके साथ ही व्यापार, संपर्क और आपसी कनेक्टिविटी से जुड़े वरिष्ठ और कार्यकारी स्तर के तंत्रों को फिर से शुरू करने की योजना बनाई गई है। दोनों नेताओं ने स्वच्छ ऊर्जा, डिजिटल तकनीक, खाद्य सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और आपूर्ति श्रृंखला जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की।
कार्नी को दी बधाई, लोकतंत्र और सहयोग को मजबूत करने पर जोर
प्रधानमंत्री मोदी ने कनाडा के प्रधानमंत्री कार्नी को चुनाव में जीत की बधाई दी और कहा कि भारत-कनाडा संबंध बहुआयामी हैं। दोनों देशों में लोकतंत्र और मानवता को मजबूत करने के लिए साझा प्रयासों की आवश्यकता है। पीएम मोदी ने विश्वास जताया कि दोनों देश आपसी सहयोग से रिश्तों को नई ऊंचाई पर ले जा सकते हैं। गौरतलब है कि मई 2025 में पदभार ग्रहण करने के बाद यह दोनों नेताओं की पहली बैठक थी।
बीते विवादों पर विराम की कोशिश, नई शुरुआत की ओर कदम
कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने कहा कि G7 सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की मेजबानी करना उनके लिए सम्मान की बात है। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक मुद्दों पर नेतृत्व कर रहा है और कनाडा भारत के साथ मिलकर कई अहम मुद्दों पर काम करने को तैयार है। उल्लेखनीय है कि बीते वर्ष हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद भारत-कनाडा संबंधों में गंभीर तनाव आ गया था। कनाडा द्वारा लगाए गए आरोपों को भारत ने खारिज करते हुए अपने उच्चायुक्त व अन्य अधिकारियों को वापस बुला लिया था। अब नए उच्चायुक्तों की बहाली के साथ दोनों देश राजनयिक संबंधों में स्थिरता लाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।



