संसद सत्र चल रहा है और इसकी वजह से सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सभी खेमों के सांसदों का दिल्ली में होना लाजिमी है। अब दिल्ली में ठहरे हैं तो चाहे राजनीतिक मतभेद कितने भी रहे हो। लेकिन मनभेद नहीं रहा करता। एक दूसरे को डिनर इनवाइट भी आम ही रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी जब प्रधानमंत्री थे तो 2001 में पवार साहब के 61वें जन्मदिन समारोह में भाग लेने के लिए दिल्ली से फ्लाइट तक ले ली थी। वहीं महाराष्ट्र की राजनीति में बाल ठाकरे और शरद पवार के बीच सियासी उठा पटक हमेशा देखने को मिली। अपने भाषणों में पवार के लिए अक्सर ‘मैद्याचा पोटा’ यानी ‘आटे की बोरी’ का इस्तेमाल किया करते।
लेकिन दोनों का परिवार एकसाथ खाना खाया करता और एक-दूसरे का खयाल रखा करता। मतलब साफ है कि राजनीति और आपक से संबंध कभी भी नेताओं के आड़े नहीं आए। लेकिन वक्त बदला और बदलते वक्त के साथ राजनीति भी अब बदलने लगी है। राकांपा-सपा प्रमुख शरद पवार द्वारा शिवसेना को तोड़ने वाले महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को सम्मानित करने पर निराशा व्यक्त करने के बाद, उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना गुट का नेतृत्व अपने स्वयं के उन सांसदों से भी नाराज है जो शिंदे और उनके गुट के साथ मेलजोल रख रहे हैं।
यूबीटी गुट के कई सांसद शिंदे और अन्य लोगों का शिंदे खेमे के लोगों से मिलना और कार्यक्रम जाना ठाकरे परिवार को पसंद नहीं आ रहा। आलम ये है कि आदित्य ठाकरे ने पार्टी सांसदों के लिए एक तरीके का फतवा जारी कर दिया है। आदित्य ने सख्त हिदायत देते हुए यूबीटी गुट के सांसदों को शिंदे खेमे के सांसदों के साथ मेलजोल नहीं रखने को कहा है। आदित्य ने जाहिर तौर पर सांसदों से शिंदे की शिवसेना से रात्रिभोज निमंत्रण स्वीकार करने से पहले पार्टी नेतृत्व की पूर्व मंजूरी लेने के लिए कहा है। 11 फरवरी को जब पवार ने शिंदे को सम्मानित किया, तो मुंबई उत्तर पूर्व से यूबीटी सेना सांसद संजय दीना पाटिल दिल्ली में कार्यक्रम में मौजूद थे। जाहिर तौर पर उसी रात एकनाथ शिंदे के बेटे और कल्याण सांसद कांत शिंदे द्वारा आयोजित रात्रिभोज में पाटिल भी मौजूद थे।



