‘बिहार में NDA को मिलेंगी 160 सीटें’, पहले चरण की वोटिंग से पहले अमित शाह का बयान

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नई दिल्ली। बिहार चुनाव के पहले चरण के मतदान में अब सिर्फ एक रात बाकी है। कुल 243 सीटों वाले विधानसभा के लिए गुरुवार को 121 सीटों पर मतदान होना है। उससे पहले केंद्रीय गृहमंत्री व भाजपा तथा राजग के रणनीतिकार अमित शाह ने 160 से ज्यादा सीटें जीतकर दो तिहाई बहुमत से सरकार बनाने का दावा किया है। साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में वह लगातार सक्रिय रहे, कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की और अब रैलियां कर रहे हैं। वह साफ देख रहे हैं जनता विकास चाहती है और उन्हें भरोसा है कि यह काम सिर्फ राजग कर सकता है। यह अक्सर देखा जाता है कि चुनाव के वक्त तो राजनीतिक दल बड़े वादे करते हैं लेकिन उन्हें पूरा करने में हाथ पैर फूल जाते हैं या भूल ही जाते हैं।

वादों को पूरा करने के लिए NDA का रोडमैप तैयार
सामान्यतया सबसे बड़ा कारण होता है रोडमैप की कमी। बिहार में भी राजनीतिक दलों व गठबंधनों की ओर से हो रहे बड़े बड़े वादे हो रहे हैं और एक दूसरे के उपर सवाल भी खड़े किए जा रहे हैं। एक सवाल के जवाब में शाह ने यह भी स्पष्ट किया कि राजग ने जितने वादे किए हैं उसे पूरा करने के लिए रोडमैप भी तैयार कर लिया है।

‘कुछ वादे ढाई साल के भीतर होंगे पूरे’
बिहार सरकार में संयुक्त सचिव स्तर के छह अधिकारियों की टीम बनेगी। वह टीम लगातार अध्ययन करेगी और बताएगी कि कौन कौन से वादे दो ढ़ाई साल में पूरे होंगे। कुछ संकल्पों को पूरा होने में थोड़ा वक्त भी लगेगा। जैसे बाढ़ मुक्त बिहार। हमारे पास पूरा अध्ययन है, पूरी रणनीति है उसे पूरा करने की। थोड़ा वक्त लगेगा लेकिन काम पहले दिन से ही शुरू होगा। उन्होंने तंज करते हुए कहा कि महागठबंधन घोषणा पत्र लेकर आए है जिसमें वादे किए गए है लेकिन वह है सिर्फ घोषणा। हमने संकल्प लिया है। बिहार की जागरुक जनता दोनों की मंशा को समझती है।

‘संविधान के 130वें संशोधन विधेयक पर जल्द कदम बढ़ाएगी सरकार’
दैनिक जागरण को दिए गए साक्षात्कार में गृहमंत्री ने कई राष्ट्रीय मुद्दों पर भी बात की। यह भी स्पष्ट किया कि एक महीने से ज्यादा जेल में रहने वाले मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों व प्रधानमंत्री के इस्तीफे से जुड़ा 130वां संविधान संशोधन विधेयक पर सरकार अब जल्द कदम बढ़ाएगी। लोकसभा अध्यक्ष ने तय कर लिया है कि अगर विपक्ष का रुख नहीं बदला और कमेटी के लिए नाम नहीं सुझाए तो जो दल सहमत हैं उसी से सदस्य चुन लिए जाएंगे। लेकिन नेताओं की निर्लज्जता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। माओवादी नक्सलवाद की तरह ही ड्रग्स मुक्त भारत भी एक डेडलाइन के अंदर पूरा करने का उन्होंने भरोसा जताया।

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