गेहूं खरीद केन्द्रों पर होगी व्यवस्थाओं प्रभावी निगरानी

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कोटा। खाद्य विभाग द्वारा बजट घोषणा के तहत किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रूपये प्रति क्विंटल पर दी जाने वाली बोनस राशि 125 रूपये से बढ़ाकर 150 रूपये प्रति क्विंटल कर दी गई है। कोटा संभाग में गेहूं की आवक को देखते हुए खरीद प्रक्रिया, जो पहले 10 मार्च से प्रस्तावित थी, अब 1 मार्च से 30 जून, 2025 तक चलेगी।
जिला कलक्टर डॉ. रविन्द्र गोस्वामी ने गेहूं खरीद व्यवस्था की समीक्षा करते हुए सभी उपखंड अधिकारियों को अपने क्षेत्र के खरीद केंद्रों पर परिवहन, भंडारण, बारिश से बचाव और अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं की प्रभावी निगरानी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
रबी विपणन सीजन 2025-26 के तहत केंद्रीय पूल में गेहूं की खरीद के लिए समान मानक जारी किए गए हैं, जिनका पालन सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और भारतीय खाद्य निगम को सुनिश्चित करना होगा। किसानों को उनकी उपज की संभावित अस्वीकृति को देखते हुए केंद्र सरकार ने गेहूं के मानक तय किए हैं।
गेहूं खरीद मानक
जिला रसद अधिकारी कुशाल बिलाला ने बताया कि गेहूं के दाने स्वाभाविक रूप से आकार, रंग और चमक में समान, स्वच्छ, मीठे और स्वास्थ्यवर्धक होने चाहिए। आर्जीमोन मेक्सिकाना और लैथिरस सैटिवस (खेसारी) के अंश नहीं होने चाहिए। उन्होंने बताया कि विदेशी पदार्थ 0.75 प्रतिशत, अन्य खाद्यान्न 2 प्रतिशत, क्षतिग्रस्त दाने 2 प्रतिशत, हल्के क्षतिग्रस्त दाने 4 प्रतिशत, सूखे व टूटे दाने 6 प्रतिशत, घुन लगे दाने 1 प्रतिशत तक स्वीकार्य सीमाएं हैं। 12 प्रतिशत से अधिक और 14 प्रतिशत तक की नमी पर मूल्य कटौती होगी, जबकि 14 प्रतिशत से अधिक नमी वाले स्टॉक अस्वीकृत किए जा सकते हैं। विषेले खरपतवार बीज अधिकतम 0.4 प्रतिशत, जिसमें धतूरा 0.025 प्रतिशत और अकरा (विसिया प्रजाति) 0.2 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। घुन लगे दाने 1 प्रतिशत से अधिक होने पर स्टॉक अस्वीकृत होगा। यदि स्टॉक में जीवित संक्रमण पाया जाता है, तो 2 रूपये प्रति क्विंटल की कटौती फ्यूमीगेशन शुल्क के रूप में की जाएगी।
किसानों को अपनी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त करने के लिए सूखा एवं स्वच्छ गेहूं ही खरीद केंद्रों पर लाने की सलाह दी गई है। मंडियों में भीड़भाड़ और ट्रकों का अन्यथा डिटेंशन रोकने के लिए एफसीआई को निर्देशित किया गया है कि वे ठेकेदारों से समन्वय कर श्रमिकों की उपलब्धता सुनिश्चित करें, जिससे मंडियों व गोदामों में अव्यवस्था न हो और पीक सीजन में स्टॉक उसी दिन क्लीयर करने के लिए कहा जाए।

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