नेट थिएट पर ‘MELODIC ORIGIN’ कार्यक्रम : वायलिन से निकले राग खमाज के सुरीले स्वर, श्रोताओं पर छाया राहुल का जादू

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जयपुर। नेट थिएट की सांगीतिक श्रृंखला में रविवार की शाम एक बार फिर सुरों की दुनिया में डूब गई, जब भीलवाड़ा के उभरते वायलिन वादक राहुल कुमावत ने ‘Melodic Origin’ कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति से सभी श्रोताओं को मोह लिया।राहुल ने राग खमाज में आलाप से शुरुआत कर अपने वादन में ऐसी आत्मीयता घोली कि सुरों की लहरें श्रोताओं के अंतर्मन को स्पर्श करती चली गईं। इसके बाद उन्होंने मध्यलय दीपचंदी ताल (14 मात्रा) में एक खूबसूरत बंदिश प्रस्तुत की, जिसने तालियों की गूंज के साथ दर्शकों की सराहना बटोरी। वायलिन के तारों से निकलते राग के रंग जैसे संध्या की हवा में घुलते चले गए। कार्यक्रम संयोजक मनोज स्वामी ने बताया कि राहुल ने श्रुतले तीन ताल में द्रुतगत बजाकर तानों और लयकारी का ऐसा संगम रचा, जो शास्त्रीय संगीत के विद्यार्थियों के लिए किसी जीवंत पाठ से कम नहीं था।

राहुल ने अपने गुरु, “प्रिंस ऑफ वायलिन” गुलजार हुसैन के सिखाए राग-विधान को मंच पर पूरी परिपक्वता से प्रस्तुत किया, जो उनके समर्पण और साधना का प्रमाण था। उनके साथ तबले पर संगत कर रहे थे युवा और प्रतिभाशाली जेयान हुसैन, जिनकी थापों ने वायलिन के सुरों को सधा और संगीतमयी यात्रा को संपूर्णता दी। अंत में जब राहुल और जेयान ने जुगलबंदी प्रस्तुत की, तो वह क्षण मानो रसों का विस्फोट था — जहाँ लय और स्वर ने एक-दूसरे से संवाद किया और श्रोता उसी संवाद में खो गए।कार्यक्रम की तकनीकी खूबसूरती में भी कोई कसर नहीं छोड़ी गई। कैमरा संचालन में आलोक पारीक और मनोज स्वामी की सहभागिता रही, जबकि मंच को सुसज्जित और व्यवस्थित किया अंकित शर्मा नोनू और जीवितश ने।नेट थिएट एक बार फिर साबित कर गया कि डिजिटल मंचों पर भी संगीत का जादू उसी प्रकार जीवित रहता है, जैसे किसी लाइव सभागार में। और जब प्रस्तुति राहुल कुमावत जैसे साधक की हो, तो वह जादू शुद्ध स्वरूप में प्रकट होता है।

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