टी20 विश्व कप में दिखी कई खामियां, अमेरिका में क्रिकेट की लोकप्रियता लिए सार्थक प्रयास की जरूरत

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नयी दिल्ली । अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने टी20 विश्व कप के ग्रुप चरण के मैचों को वेस्टइंडीज के साथ अमेरिका में आयोजित कराकर दुनिया के इस हिस्से में खेल को लोकप्रिय बनने की पहली बड़ी कोशिश की लेकिन कम तैयार ‘डॉप इन’ पिचों और मैदान की खराब परिस्थितियों के साथ टिकटों के महंगे दाम और टेलीविजन दर्शकों के लिए भारत पर अति निर्भरता से वह अपने प्रयास में काफी हद तक सफल नहीं रही। अमेरिका के दृष्टिकोण से हालांकि इस विश्व कप का सबसे बड़ा सकारात्मक पहलू उनकी टीम का सुपर आठ चरण में पहुंचना रहा। अमेरिका पहली बार इस वैश्विक टूर्नामेंट में भाग ले रहा है। टीम ने कनाडा और पाकिस्तान के खिलाफ उलटफेर करने के बाद भारत को भी कड़ी टक्कर दी।

इस दौरान सौरभ नेत्रवलकर और कप्तान मोनांक पटेल ने अपने शानदार प्रदर्शन से प्रशंसकों का दिल जीत लिया। किसी भी टीम के खेल को अच्छा प्रदर्शन करने और किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र में लोकप्रियता हासिल करने के लिए यह जरूरी है कि उसके साथ कुछ हद तक राष्ट्रवाद की भावना जुड़ी हो और एच1बी वीजा धारकों और ग्रीन कार्ड प्राप्त करने वाले भारतीयों ने इस विश्व कप के जरीये अमेरिका के लिए यह मौका बनाने की कोशिश की। अमेरिका में क्रिकेट का विस्तार लंबे समय से आईसीसी की सूची में है और इस मामले में लॉस एंजिल्स ओलंपिक में क्रिकेट का शामिल होना उसकी बड़ी जीत है। आईसीसी को हालांकि यह स्वीकार होगा कि लॉजिस्टिक्स और संगठन से जुड़ी समस्याओं ने विश्व कप के दौरान काफी परेशान किया।

न्यूयॉर्क के लांग आइलैंड स्थित नासाउ काउंटी क्रिकेट मैदान को ही देखे तो यह न्यूयॉर्क शहर के सीबीडी (सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट) से एक घंटे से अधिक की दूरी पर है। यह स्टेडियम एक अस्थायी सुविधा वाला है। विश्व कप के मैचों के खत्म होने के साथ ही 37,000 दर्शकों की क्षमता वाले स्टेडियम को ध्वस्त किया जाने लगा है। अब यह कोई नहीं जानता कि अब से उस मैदान पर किस तरह के क्रिकेट मैच खेले जाएंगे। इसी मैदान पर भारतीय टीम का सामना पाकिस्तान से हुआ। इस मुकाबले का प्रचार बढ़-चढ़कर किया गया लेकिन पिच पर बल्लेबाजों को रन बनाने के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। आयरलैंड के खिलाफ भारत के शुरुआती मैच में असामान्य उछाल से कप्तान रोहित शर्मा और ऋषभ पंत को चोट भी लगी। इसके बाद पिच पर पूरी तरह से समतल करने के लिए रोलर को इतना अधिक चलाया कि यह काफी धीमी हो गयी और 20 ओवर में 115-120 रन पहुंचना मुश्किल हो गया। इसे टी20 क्रिकेट के लिए कहीं से सही नहीं कहा जा सकता है।

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