जयपुर। किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को एक पत्र लिखकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के संबंध में केंद्र सरकार को दिए गए नकारात्मक परामर्श को वापस लेने और एमएसपी पर खरीद की गारंटी कानून बनाने के लिए अनुशंसनात्मक परामर्श भेजने का आग्रह किया है। पत्र में उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार का यह नकारात्मक रुख किसानों के हितों पर कुठाराघात है।
जाट ने ज्ञापन में स्मरण दिलाया कि वर्ष 2010 में किसानों को मूंग की फसल घोषित एमएसपी से आधे दामों पर बेचने को मजबूर होना पड़ा था, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हुआ था। इसी पीड़ा से एमएसपी पर गारंटी कानून की मांग उठी थी, जिसके लिए पिछले 15 वर्षों में प्रदेशभर में किसान आंदोलनों की एक लंबी श्रृंखला चली, जिसमें लाखों किसानों ने भाग लिया।उन्होंने ‘किसानों की सुनिश्चित आय एवं मूल्य का अधिकार विधेयक 2012’ के प्रारूप का उल्लेख किया, जिसे विभिन्न कानूनी और कृषि विशेषज्ञों ने अनुमोदित किया था और जिसके आधार पर लोकसभा में निजी विधेयक भी प्रस्तुत किए गए थे। उन्होंने बताया कि कृषि लागत एवं मूल्य आयोग ने भी तीन बार एमएसपी पर खरीद की गारंटी कानून की अनुशंसा की है।
जाट ने कहा कि डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय किसान आयोग और प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा गठित समितियों ने भी इसी प्रकार की सिफारिशें की हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि एमएसपी पर खरीद की गारंटी कानून देश के किसानों के लिए एक ज्वलंत मुद्दा है और इससे किसानों की आत्महत्याओं के कलंक को मिटाया जा सकता है। ऐसे महत्वपूर्ण कानून पर नकारात्मक परामर्श किसानों के लिए अत्यंत निराशाजनक है।पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि केंद्र सरकार द्वारा तैयार ‘आदर्श कृषि उपज एवं पशुपालन विपणन अधिनियम 2017’ के आधार पर राजस्थान सरकार ने भी एक विधेयक का प्रारूप तैयार किया था, जो अभी तक विधानसभा में पेश नहीं किया गया है। किसान महापंचायत ने मांग की है कि राजस्थान सरकार या तो इस विधेयक को पारित करे या कृषि उपज मंडी अधिनियम में संशोधन कर एमएसपी पर खरीद की गारंटी का कानून बनाए।



