सनातन धर्म में जितिया व्रत विशेष महत्व है। जितिया व्रत या जीवित्पुत्रिका व्रत को हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस बार जितिया व्रत को 14 सितंबर को रखा जाएगा। यह व्रत महिलाएं अपने संतान की दीर्घायु और खुशहाली के लिए रखती है। जितिया व्रत की शुरुआत नहाय-खाय से शुरु होती है। इस व्रत को मुख्य रुप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ जगहों पर रखा जाता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि जितिया व्रत के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए?
जितिया व्रत पूजन मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 14 सितंबर को सुबह 05 बजकर 04 मिनट पर आरंभ होगी और 15 सितंबर को सुबह 03 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी।
– ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4.33 बजे से सुबह 05.19 बजे तक
– अभिजित मुहूर्त: सुबह 11.52 बजे से दोपहर 12.41 बजे तक
– विजय मुहूर्त: दोपहर 02.20 बजे से दोपहर 03.09 बजे तक
– गोधूलि मुहूर्त: शाम 06.27 बजे से शाम 06.51 बजे तक
– रवि योग: सुबह 06.05 बजे से सुबह 08.41 बजे तक
जितिया व्रत में क्या करें?
इस व्रत के पहले नहाय-खाय मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना है। सात्विक भोजन को ग्रहण करना होता हैं। भोजन में मरुवा की रोटी और नोनी साग शामिल है। सूर्योदय होने के बाद से निर्जला व्रत रखा जाता है। जो कि सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय के बाद तक रखा जाता है। इस दिन महिलाएं पूजा-पाठ करती है व्रत कथा का पाठ करती है। तीसरे दिन व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन किसी गरीब या जरुरतमंद व्यक्ति को दान जरुर देना चाहिए।
इस दिन क्या नहीं करें?
इस दिन भूलकर भी जल ग्रहण न करें और व्रत को निर्जला रखें। व्रत वाले दिन तामसिक चीजों से दूर रहे हैं। व्रत रखने वाली महिलाओं को इस दिन वाद-विवाद से दूर रहना जरुरी है। जितिया व्रत में क्रोध से बचना चाहिए और जीव-जंतुओं को नुकसान न पहुंचाएं।