जिन्ना ने कभी नहीं की अलग राष्ट्र की मांग…स्वामी प्रसाद मौर्य ने बंटवारे के लिए हिंदू महासभा को ठहराया जिम्मेदार

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रामचरित मानस को लेकर दिए विवादित बयान से चर्चा में आए समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्ये एक बार फिर से विवादों में आ गए हैं। बीजेपी पर हमलावर रहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस बार कह दिया कि हिंदू महासभा के दवाब मेंं हिंदुस्तान और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ। उन्होंने आगे दावा किया कि भारत और पाकिस्तान मोहम्मद अली जिन्ना के कारण नहीं, बल्कि हिंदू महासभा की दो अलग राष्ट्रों की मांग के कारण अलग हुए थे। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना से देश को बांटने का बीज बोया जा रहा है। रसरा तहसील के अमहर ग्राम सभा में बौद्ध सम्मेलन में मौर्य ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि 1922-23 में द्विराष्ट्र की अवधारणा हिंदू महासभा ने की थी। 1939 वीर सावरकर जी हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए।
मौर्य ने कहा कि 1939 से 42 तक राष्ट्र की अवधारणा बड़ी तेजी से पकड़ी। दो, चार साल बाद देश आजाद हुआ। हम ‘हिंदू मुस्लिम सिख इसाई, सब हैं आपस में भाई-भाई’ का नारा लगाते हैं। यदि हिंदू हिंदू राष्ट्र की बात करता है तो मुस्लिम, सिख, बौद्ध या जैन क्यों नहीं? जो लोग हिंदू राष्ट्र की बात कर रहे हैं वे देश के दुश्मन हैं। मौर्य ने कहा कि हिंदू महासभा जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष सावरकर थे। उन्होंने हिंदू राष्ट्र की बात की थी। उन्होंने कहा, इससे दो-राष्ट्र सिद्धांत के आधार पर भारत और पाकिस्तान का निर्माण हुआ।
मौर्य ने कहा कि जिन्ना ने कभी भी अलग राष्ट्र की मांग नहीं की। हिंदू महासभा की वजह से जिन्ना को पाकिस्तान लेना पड़ा। सपा नेता ने कहा कि भगवा का सम्मान है लेकिन जो भगवाधारी भगवा वेश में आतंकवाद की भाषा बोलते हैं वो आतंकवादी हैं। जो हमारा सिर कलम करने और जीभ काटने की बात करते हैं ऐसे लोगों को मैंने आतंकवादी कहा।

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