जयपुर: डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउण्डेशन ट्रस्ट के नए नियमों में खनन क्षेत्र विकास में पेयजल, सेनिटेशन, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण, महिला-बाल विकास, कौशल विकास सहित विकास कार्य होंगे संपादित – खनन प्रभावित क्षेत्र के 25 किमी परिधि में होंगे विकास कार्य

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जयपुर। राज्य के खनन प्रभावित क्षेत्रों में डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउण्डेशन ट्रस्ट के माध्यम से उच्च प्राथमिकता क्षेत्र में 70 प्रतिशत राशि व अन्य प्राथमिकता क्षेत्र के विकास कार्यों में 30 प्रतिशत राशि व्यय होगी। खान व पेट्रोलियम विभाग के प्रमुख सचिव टी. रविकान्त ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा डीएमएफटी फण्ड के संचालन के नए नियमों में खनन प्रभावित क्षेत्र के 25 किमी क्षेत्र परिधि में जनहितकारी विकास कार्यों का संचालन किया जा सकेगा। नए प्रावधानों में जिला कलक्टर की अध्यक्षता में गवर्निंग काउंसिल का गठन करते हुए मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद को सदस्य सचिव बनाया गया है। इसी तरह से मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय मॉनिटरिंग कमेटी बनाई गई है जिसमें माइन्स विभाग के प्रमुख सचिव को वाइस चेयरपर्सन बनाने के साथ ही पहली बार केन्द्र सरकार के माइंस विभाग के प्रतिनिधि को भी शामिल किया गया है। इसके साथ ही जिला स्तर व राज्य स्तर पर संबंधित विभागों के प्रतिनिधियों के साथ ही जिला स्तर पर खानधारकों के प्रतिनिधियों, स्थानीय प्रतिनिधियों और गैरसरकारी संगठन के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा माइनिंग सेक्टर के समग्र विकास, प्रक्रिया के सरलीकरण निवेश, रोजगार और राजस्व को बढ़ावा देने पर जोर देते रहे हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का मानना है कि खनन क्षेत्र से डीएमएफटी फण्ड में संग्रहित राशि का उपयोग उसी क्षेत्र के निवासियों के समग्र विकास में किया जाना चाहिए। इसी को देखते हुए डीएमएफटी के आवश्यक प्रावधान और मॉनिटरिंग करने की व्यवस्था की गई है। रविकान्त ने बताया कि नए प्रावधानों में उपलब्ध राशि का उपयोग उसी खनन क्षेत्र में किए जाने का प्रावधान किया गया है। उपलब्ध राशि में से 70 प्रतिशत राशि उच्च प्राथमिकता क्षेत्र में पेयजल वितरण व जल शुद्धीकरण में वाटर ट्रिटमेंट प्लाट आदि पेयजल योजनाएं, पर्यावरण संरक्षण एवं वायु प्रदूषण से संबंधित कार्य, स्वास्थ्य सुविधाएं, सिलिकोसिस, शिक्षा में शिक्षण संस्था के भवन निर्माण, पुस्तकालय, टॉयलेट, स्कूल में पीने का पानी, खेल आदि के लिए आधारभूत सुविधाएं, ई लर्निंग सहित शैक्षणिक सुविधाएं, महिला एवं बाल विकास कार्य, आंगनबाड़ी केन्द्र, क्षेत्र के युवाओं के कौशल विकास, हॉस्टल्स, वृद्धाश्रम व स्वच्छता, सेनिटेशन, हाउसिंग, कृषि विकास और पशुपालन विकास आदि कार्यों में उपयोग किया जा सकेगा। उपलब्ध राशि में से 30 प्रतिशत राशि अन्य प्राथमिकता खासतौर से ढांचागत विकास कार्यों में रोड़, पुल, रेल परियोजनाओं व सिंचाई परियोजनाएं, उर्जा और वाटरशेड सहित संबंधित कार्यों को कराया जा सकेगा।

प्रमुख सचिव ने बताया कि डीएमएफटी फण्ड में उपलब्ध राशि का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने के लिए पहली बार मुख्य सचिव की अध्यक्षता में मॉनिटरिंग कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी में केन्द्र के खान विभाग के प्रतिनिधि के साथ ही वित, वन, पीडब्ल्यूडी, जल संसाधन, जनस्वास्थ्य व अभियांत्रिकी, सामाजिक न्याय व अधिकारिता, मेडिकल, तकनीकी शिक्षा, योजना व खान विभाग के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है। समिति की बैठक साल में दो बार होगी। इसी तरह से जिला कलक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति की बैठक तीन माह में एक बार होगी। उन्होंने बताया कि 50 करोड़ या इससे अधिक राशि संग्रहित होने वाले जिलों में प्रबंधन, तकनीकी सहायता व आयोजना हेतु पीएमयू यानी प्रोजेक्ट प्रबंधन इकाई का गठन होगा। इसी तरह से फण्ड में प्राप्त राशि में से 10 प्रतिशत राशि एण्डोवमेंट फण्ड के रुप में रखी जाएगी। टी. रविकान्त ने बताया कि डीएमएफटी फण्ड में मेजर मिनरल की पुरानी खानों से 30 प्रतिशत, ऑक्शन की मेजर मिनरल खानों से 10 प्रतिशत और माइनर मिनरल खानों से रॉयल्टी राशि की 10 प्रतिशत राशि संग्रहित होती है। निदेशक माइन्स दीपक तंवर ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा डीएमएफटी नियमों की अधिसूचना जारी कर दी है। उन्होंने बताया कि नए नियमों के प्रभावी होने से खनन प्रभावित क्षेत्र में उपलब्ध राशि का बेहतर उपयोग हो सकेगा।

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