जयपुर बनेगा ग्लोबल फॉरेंसिक हब, राष्ट्रीय सुरक्षा को मिलेगी नई दिशा

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जयपुर। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे और अपराध जांच प्रणाली को और मज़बूत करने की दिशा में राजस्थान की राजधानी जयपुर जल्द ही एक बड़ा मुकाम हासिल करने जा रहा है। यहाँ शुरू होने वाला नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (NFSU) कैंपस न केवल फॉरेंसिक शिक्षा और अनुसंधान का नया अध्याय खोलेगा, बल्कि हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच और सुरक्षा बलों के लिए एक्सपर्ट ट्रेनिंग का भी केंद्र बनेगा। यह पहल देश में बढ़ती चुनौतियों – साइबर अपराध, आतंकवाद, सीमा सुरक्षा और संगठित अपराध – से निपटने के लिए अत्यंत अहम मानी जा रही है। एनएफएसयू कैंपस : भारत के लिए ऐतिहासिक कदम भारत सरकार ने 2020 में राष्ट्रीय फॉरेंसिक साइंस विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत एनएफएसयू की स्थापना की थी। इसका मुख्यालय गुजरात के गांधीनगर में है और अब जयपुर में इसका नया कैंपस खोला जा रहा है। यह कैंपस फिलहाल प्रतापनगर कोचिंग हब की टावर-8 इमारत में 40 कमरों में तैयार किया गया है।

स्थायी कैंपस के लिए दिल्ली रोड स्थित दौलतपुरा में 50 एकड़ जमीन मंजूर की गई है, जहां भविष्य में अत्याधुनिक भवन और रिसर्च सेंटर स्थापित किए जाएंगे। 12 अक्टूबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इस अस्थायी कैंपस का उद्घाटन और स्थायी कैंपस का शिलान्यास करेंगे। 21वीं सदी में अपराध की प्रकृति बदल चुकी है। पहले अपराध केवल भौतिक साक्ष्यों तक सीमित थे, लेकिन अब साइबर अपराध, मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स, तस्करी और आतंकवाद जैसी नई चुनौतियाँ सामने हैं। फॉरेंसिक साइंस ही वह क्षेत्र है जो वैज्ञानिक साक्ष्य प्रस्तुत कर न्यायपालिका और जांच एजेंसियों की मदद करता है। जयपुर का यह कैंपस इन क्षेत्रों में क्रांतिकारी योगदान देगा: हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच – हत्या, आर्थिक अपराध और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़े मामलों में वैज्ञानिक जांच। सैन्य और सुरक्षा बलों की मदद – सीमा सुरक्षा, आतंकवादी गतिविधियों और ड्रोन जैसी नई तकनीकों से निपटने के उपाय ।साइबर सिक्योरिटी और डिजिटल फॉरेंसिक – हैकिंग, ऑनलाइन फ्रॉड और डेटा चोरी से जुड़े अपराधों की जांच। नार्को और ब्रेन मैपिंग तकनीक – अपराधियों से जानकारी जुटाने और अपराध की गुत्थी सुलझाने में मदद।

जयपुर कैंपस की खासियत:
एनएफएसयू जयपुर कैंपस न केवल शिक्षा बल्कि एक्सपर्ट ट्रेनिंग हब के रूप में भी कार्य करेगा। यहां ईडी, सीबीआई, एनआईए, आईबी और पुलिस अधिकारियों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी। जजों और जांच अधिकारियों (IOs) के लिए भी विशेष प्रोग्राम होंगे ताकि वे वैज्ञानिक साक्ष्यों की गहराई से समझ हासिल कर सकें। नार्को टेस्ट और ब्रेन मैपिंग जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं यहां उपलब्ध होंगी। एडमिशन की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है और तीन प्रमुख कोर्स से शुरुआत होगी।

भारत की सुरक्षा को नई दिशा:
जयपुर का यह कैंपस राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे को कई तरह से मजबूत करेगा। सीमा पर होने वाली ड्रग्स और हथियार तस्करी की घटनाओं की जांच अधिक सटीक होगी। आतंकवाद से जुड़े मामलों में फॉरेंसिक सबूत अदालत में मजबूत गवाही देंगे। साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए प्रशिक्षित विशेषज्ञ यहां से तैयार होंगे। ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े अपराधों की निगरानी संभव होगी।

शिक्षा और रोजगार के अवसर:
जयपुर कैंपस न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को ताकत देगा बल्कि युवाओं के लिए शिक्षा और रोजगार के नए अवसर भी खोलेगा। यहां से पढ़ने वाले छात्र अंतरराष्ट्रीय स्तर के फॉरेंसिक एक्सपर्ट बन सकेंगे। राज्य और देश की पुलिस व न्याय व्यवस्था को प्रशिक्षित जनशक्ति मिलेगी। राजस्थान जैसे बड़े राज्य में पहली बार छात्रों को फॉरेंसिक साइंस में उच्च शिक्षा के लिए स्थानीय स्तर पर सुविधा उपलब्ध होगी।

एनएफएसयू के कैंपस और वैश्विक पहचान:
वर्तमान में एनएफएसयू के भारत और विदेशों में 12 कैंपस और अकादमी हैं। जयपुर का नया कैंपस इस नेटवर्क का अहम हिस्सा बनेगा।यह भारत को फॉरेंसिक साइंस और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम है।

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