जयपुर। राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि आज की तेज़ रफ्तार और तनावपूर्ण जीवनशैली में गीता के संदेश अत्यंत प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि जीवन में चुनौतियाँ आना स्वाभाविक है, परन्तु मनुष्य को साहस और धैर्य से उनका सामना करना चाहिए। गीता का योग, कर्मयोग, ज्ञानयोग और भक्तियोग मनुष्य को मानसिक शांति, आत्मविश्वास और संतुलन प्रदान करते हैं। व्यवसाय, शिक्षा, राजनीति, परिवार—हर क्षेत्र में गीता की शिक्षाएँ उपयोगी हैं। विधान सभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने सोमवार को अजमेर स्थित निवास पर गीता जयंती के मौके पर संतो का सम्मान किया। इस आयोजन में अजमेर शहर के मंदिरों के पुजारियों ने भाग लिया। श्री देवनानी ने संतों को गीता की प्रति भेंट की। श्री देवनानी ने संतों का सम्मान कर शुभाशीष लिया। सत्य और कर्तव्य के पथ पर चलें- श्री देवनानी ने कहा कि गीता जयंती आत्मज्ञान और आत्मोत्थान का पर्व है। यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम जीवन में सत्य और कर्तव्य के पथ पर चलें। श्रीमद्भगवद्गीता का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना महाभारत के समय था। अपने जीवन को गीता की शिक्षाओं से आलोकित करें और एक श्रेष्ठ मानव बनें। निष्काम कर्म की प्रेरणा- श्री देवनानी ने कहा कि गीता, मानव जीवन का मार्गदर्शक ग्रंथ है। इसके 18 अध्याय और 700 श्लोक जीवन के प्रत्येक पहलू को समझाते हैं—जैसे कर्तव्य, भक्ति, ज्ञान, योग, वैराग्य, संतुलन और आत्मबोध। गीता का मुख्य संदेश “कर्म करो, फल की चिंता मत करो” लोगों को निष्काम कर्म की प्रेरणा देता है। साथ ही, गीता जीवन में समभाव, धैर्य, आत्मविश्वास और सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित करती है।

जयपुर: गीता जयंती पर श्री देवनानी की शुभकामनाएं— गीता मानव जीवन का मार्गदर्शक ग्रंथ- श्री देवनानी
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