जयपुर। मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा की पहल एवं चिकित्सा मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह खींवसर के मार्गदर्शन में प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का निरन्तर उन्नयन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री की प्रतिबद्धता के चलते प्रदेश में गांव-ढाणी तक मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को लगातार सुदृढ़ किया गया है, ताकि प्रदेश में मातृ एवं शिशु मृत्युदर को न्यूनतम स्तर पर लाया जा सके। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने कई नवाचार कर एवं मातृ स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित कर सकारात्मक परिणाम हासिल किए हैं। हाल ही में जारी एसआरएस सर्वे के अनुसार प्रदेश में मातृ मृत्यु दर घटकर 86 प्रति एक लाख जीवित जन्म दर्ज की गई है जो कि राष्ट्रीय औसत से कम है।
एएनएसी रजिस्ट्रेशन के साथ कम से कम 4 प्रसव पूर्व जांच
मातृ स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से एएनसी रजिस्ट्रेशन के साथ ही कम से कम 4 बार गर्भवती महिला की जांच की जाती है। उन्हें आईएफए कैल्शियम एवं आयरन की गोलियां देने के साथ ही डीटी के दो टीके लगाए जाते हैं। हर माह की 9, 18 एवं 27 तारीख को प्रत्येक पीएचसी स्तर से लेकर उच्चतर संस्थानों तक गर्भवती की विशेष जांच व्यवस्था नियमित रूप से उपलब्ध है। जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत प्रत्येक गर्भवती माता को निशुल्क दवा, जांच, रेफरल व प्रसव के समय भर्ती के दौरान कलेवा एवं आवश्यकता होने पर निःशुल्क रक्त प्रदान करने की सेवाएं उपलब्ध है। प्रसव कक्षों की गुणवत्ता बनाए रखने हेतु दक्षता कार्यक्रम संचालित है। प्रत्येक प्रसव के समय संबल प्रदान करने की दृष्टि से प्रसव सखी अर्थात् प्रसूता की परिजन महिला को साथ रखा जाता है। प्रत्येक प्रसूता को जेएसवाई एवं लाडो प्रोत्साहन योजना का लाभ सीधा बैंक खातों में दिया जा रहा है।
सुरक्षित प्रसव के लिए सुसज्जित प्रसव कक्ष
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती गायत्री राठौड़ ने बताया कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को निरंतर कम करने के लिए प्रदेश में गांव-कस्बों तक मातृ एवं स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया गया है। विभाग का प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा प्रसव संस्थागत हो, ताकि जच्चा-बच्चा के जीवन को कोई खतरा नहीं रहे। इस दिशा में प्रदेश में कुल 2065 डिलीवरी प्वाइंट संचालित हैं, जहां संस्थागत प्रसव संपादित होते हैं। राज्य में जिला स्तर व उप जिला स्तर पर कुल 42 एमसीएच इकाइयां स्वीकृत हैं। अधिक भार वाले चिकित्सा संस्थानों में 114 जेएसवाई वार्ड संचालित हैं। प्रदेश में स्वीकृत 160 एफआरयू केन्द्रों में से 106 पर सिजेरियन विशेषज्ञ सेवाएं उपलब्ध है। शेष केन्द्रों पर भी सामान्य प्रसव सेवाएं दी जा रही हैं। मातृ एवं स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को देखते हुए लक्ष्य कार्यक्रम के तहत 95 लेबर रूम एवं 44 ओटी भारत सरकार के स्तर से सर्टिफाई किए जा चुके हैं। इन सभी प्रयासों के चलते प्रदेश में संस्थागत प्रसव लगातार बढ़ता जा रहा है। एनएफएचएस-5 सर्वे के अनुसार राज्य में संस्थागत प्रसव 94.9 प्रतिशत है जो अन्य राज्यों की तुलना में काफी बेहतर है।
गांव-कस्बों तक निःशुल्क सोनोग्राफी के लिए मा-वाउचर योजना
निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश शर्मा ने बताया कि हमारी माताएं-बहनें स्वस्थ एवं सेहतमंद रहें और आने वाली पीढ़ी भी स्वस्थ एवं तंदुरूस्त हो, इसी संवेदनशील सोच के साथ राज्य सरकार मा-वाउचर योजना लेकर आई। सुदूरवर्ती गांव-कस्बों में जिन राजकीय अस्पतालों में सोनोग्राफी की सुविधा उपलब्ध नहीं है, वहां राज्य सरकार ने निजी केन्द्रों पर निःशुल्क सोनोग्राफी के लिए यह योजना शुरू की है। योजना के लागू होने से गर्भस्थ शिशु एवं गर्भावस्था में गर्भवती महिला की प्रसव संबंधी जटिलता की पहचान होने पर आवश्यक प्रबंधन संभव हो रहा है। योजना के तहत लगभग 1300 अधिकृत निजी सोनोग्राफी केन्द्रों पर क्यूआर कोड आधारित वाउचर से निःशुल्क सोनोग्राफी की जा रही है। अब तक 2 लाख से अधिक कूपन जारी किए जा चुके हैं। इन कूपनों के आधार पर लगभग 1 लाख 50 हजार गर्भवती महिलाएं निःशुल्क सोनोग्राफी की सुविधा प्राप्त कर चुकी हैं। योजना के तहत प्रतिवर्ष लगभग 03 लाख गर्भवती महिलाओं को सेवा दिये जाने का लक्ष्य रखा गया है।