जयपुर: छात्रसंघ चुनाव को लेकर निर्धारित करें नीति, कॉलेजों में नहीं रखी जाए मतपेटियां : हाईकोर्ट

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जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने छात्रसंघ चुनाव कराने को लेकर दायर याचिकाओं को निस्तारित कर दिया है। अदालत ने कहा है कि चुनाव एक संवैधानिक अधिकार है, लेकिन यह शिक्षा के अधिकार के ऊपर नहीं हो सकता। इसके साथ ही अदालत ने चुनाव आयोग को कहा है कि चुनाव कराने के बाद मतपेटियों को कॉलेजों में नहीं रखे। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश जय राव व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं का निस्तारण करते हुए दिए। अदालत ने विवि को कहा है कि वह आगामी 19 जनवरी को एक बैठक कर आगामी सत्र के लिए छात्रसंघ चुनाव कराने की रूपरेखा तय करे। वहीं यदि चुनाव नहीं कराना हो तो उस पर कारण सहित निर्णय ले। अदालत ने गत 14 नवम्बर को याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिका में अधिवक्ता शांतनु पारीक ने बताया कि याचिकाकर्ता को छात्र प्रतिनिधि चुनने का मौलिक अधिकार है और राज्य सरकार द्वारा छात्रसंघ चुनाव नहीं कराए जाकर इस अधिकार का हनन किया जा रहा है। हाईकोर्ट की तीन जजों की खंडपीठ ने भी एक मामले में यह तय किया था कि राजस्थान में छात्र संघ चुनाव पर रोक नहीं लगाई जा सकती। वहीं लिंगदोह समिति की रिपोर्ट खुद कहती है कि छात्र संघ चुनाव हर साल होने चाहिए और हर साल सत्र आरंभ होने के छह से आठ सप्ताह में चुनाव हो जाने चाहिए। छात्र संघ चुनाव के जरिए छात्रों को उनका प्रतिनिधि चुनने का मौलिक अधिकार है। यह अधिकार उन्हें संविधान से मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने भी केरल राज्य बनाम काउंसिल प्रिंसिपल कॉलेज के मामले में इसे मौलिक अधिकार का दर्जा दिया था। राज्य सरकार द्वारा केवल एक परिपत्र से ही तर्कहीन व असंवैधानिक कारणों से छात्रसंघ चुनावों को नहीं कराने का निर्णय लिया है, जो गलत है। इसलिए राज्य सरकार के चुनाव नहीं करवाने वाले परिपत्र को रद्द कर छात्रसंघ चुनाव करवाए जाए। वहीं राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने याचिका दायर करने पर आपत्ति उठाते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने सीधे ही हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। जबकि इसके लिए पहले डीन स्टूडेंट वेलफेयर के समक्ष जाना चाहिए था। इसके अलावा छात्रसंघ चुनाव कराना संवैधानिक रूप से बाध्यकारी नहीं है और ना ही इसमें शामिल होना मूलभूत अधिकार है। इसके अलावा सेमेस्टर शुरू हुए लंबा समय हो गया है। इसलिए अब चुनाव नहीं कराया जा सकता। महाधिवक्ता ने कहा कि प्रदेश के नौ विश्वविद्यालय के कुलगुरुओं ने छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने की सिफारिश की है। इसके अलावा छात्रसंघ चुनाव मौलिक अधिकार भी नहीं है। इसलिए इस सत्र में प्रदेश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने का निर्णय लिया गया है।

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