जयपुर। सिटी पैलेस में चल रहे एक माह के सांस्कृतिक विरासत प्रशिक्षण शिविर के अंतर्गत प्रतिभा निखार दिवस मनाया गया। इस अवसर पर प्रतिभागियों ने शिविर के गत दिनों के दौरान सीखी विभिन्न कलाओं का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में एचएच महाराजा लक्ष्यराज प्रकाश ऑफ सिरमौर और जयपुर की प्रिंसेस गौरवी कुमारी उपस्थित रहीं। उन्होंने प्रशिक्षण शिविर का अवलोकन करते हुए प्रतिभागियों से संवाद भी किया। शिविर का आयोजन महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय संग्रहालय ट्रस्ट द्वारा पारम्परिक कलाओं की प्रतिनिधि संस्था रंगरीत तथा ‘सरस्वती कला केन्द्र’ के सहयोग से किया गया है। शिविर का समापन समारोह 20 जून को आयोजित किया जाएगा। इस दौरान प्रिंसेस गौरवी कुमारी ने प्रतिभागियों के साथ मिलकर लुप्तप्राय ‘ठीकरी’ कला की बारीकियों और तकनीकों को न सिर्फ समझा, बल्कि स्वयं कांच के टुकड़ों से एक सुंदर फूल की आकृति भी तैयार की। वहीं, एचएच महाराजा लक्ष्यराज प्रकाश ने पारंपरिक फ्रेस्को (अराईश) कला की गहराई से जानकारी ली और खुद भी पेंटिंग पर कार्य कर कला की बारीकियों का अनुभव किया। इस अवसर पर उन्होंने प्रतिभागियों की विशेष रूप से प्रशंसा करते हुए कहा कि इस शिविर में विभिन्न आयु वर्ग के प्रतिभागियों ने पारंपरिक और लुप्तप्राय भारतीय कलाओं को सीखने में गहरी रुचि दिखाई है, जो अत्यंत सराहनीय है। उन्होंने शिविर में प्रशिक्षकों के महत्वपूर्ण योगदान की भी सराहना की, जिनके मार्गदर्शन और मेहनत से प्रतिभागी इन कलाओं की बारीकियों को समझने और सीखने में सक्षम हो पाए हैं।
शिविर के संयोजक और सिटी पैलेस के कला एवं संस्कृति, ओएसडी, चित्रकार रामू रामदेव ने कहा कि इस मंच के माध्यम से नवांकुर कलाकारों को हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने और पारंपरिक कलाओं के संरक्षण व संवर्धन का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि शिविर के दौरान प्रतिभागियों को विभिन्न पारंपरिक कला रूपों में प्रसिद्ध कला विशेषज्ञों द्वारा व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। गौरतलब है कि शिविर के दौरान रामू रामदेव बाबूलाल मारोठिया, श्यामू रामदेव, लक्ष्मी नारायण कुमावत और यामिनी रामदेव द्वारा ढूंढाड़ शैली में ‘पारंपरिक चित्रकला’ की बारीकियां सिखाई गई हैं। डॉ. नाथूलाल वर्मा ने ‘आला गिला और आराईश’ (फ्रेस्को) का प्रशिक्षण दिया है। वहीं, जयपुर घराने का ‘ध्रुवपद’ डॉ. मधुभट्ट तैलंग द्वारा और जयपुर घराने का ‘कथक एवं लोकनृत्य’ डॉ. ज्योति भारती गोस्वामी द्वारा सिखाया गया है। ‘बांसुरी’ का प्रशिक्षण आर.डी. गौड़ द्वारा प्रदान किया गया है। इसी प्रकार, हिंदी और अंग्रेजी में ‘कैलीग्राफी’ और ‘पोट्रेट’ का ललित शर्मा के निर्देशन में प्रशिक्षण दिया गया है। डॉ ब्रजमोहन खत्री द्वारा ‘वैदिक ज्योतिष’ का ज्ञान और शंकर लाल कुमावत व बद्री नारायण कुमावत ने ‘ठीकरी’ (मिरर वर्क) कला की बारीकियों से अवगत कराया है।


