मदनगंज किशनगढ़। वर्षा योग समिति के तत्वाधान एवं आचार्य सुनील सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में रविवार को सन्मति समवशरण में आयोजित जेनेश्वरी शिक्षा में अतिथि के रूप में राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी शामिल हुए। कार्यक्रम में वासुदेव देवनानी ने आचार्य सुनील सागर महाराज को श्रीफल भेट, पाद प्रक्षालन कर आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम में जैन पुस्तिका का विमोचन भी किया। कार्यक्रम में वासुदेव देवनानी ने कहा कि दीक्षा समारोह जीवन का पुण्य दिन है। आचार्य महावीर कीर्ति सागर महाराज का 80वा एवं विजयदशमी पर मनाया है। विजयदशमी पर रावण का दहन करते आए हैं। वास्तव में रावण जिस अहंकार, लालच, राग, द्वेष का प्रतीक है हम सब भी अपने जीवन से इन सब अवगुण को त्यागने का संकल्प लेकर जीवन को सफल बनाएं। सनातन संस्कृति का संवर्धन करने वाला जैन धर्म है। विश्व में शांति जैन सिद्धांतों से हो सकती है।
उन्होंने रूस, यूक्रेन, ईरान, इजरायल युद्ध की बात करते हुए कहा कि सारा संसार भारत , सनातन संस्कृति एवम मुनियों की देख रहा है। हमें शांति का संदेश भारत दे सकता है। उन्होंने कहा कि ये हमारी श्रेष्ठ परंपरा है कि चातुर्मास में मुनिवर आते हैं चार महीने में संस्कार देते हैं और सारे देश को आध्यात्मिक का वातावरण बनता हैं। दिगंबर मुनियों की त्याग, तपस्या साधारण नहीं होती है। अच्छे कर्म करने वाले ही दिगंबर दीक्षा लेते है। मुनियों ने भारत को नई दिशा दी है। अपरिग्रह, अहिंसा, शाकाहार पांच धर्म की पालन करना आवश्यक है। 12 व्रतो को जीवन में अपनाना चाहिए। संत समाज में विचरण कर जो ज्ञान देंगे उस समाज आगे बढ़ेगा और समाज में फैली कुरीतिया समाप्त होगी। सनातन संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए। सदैव शाकाहारी बनना चाहिए।
जैन मुनियों के प्रवचनों से हम कलयुग से सतयुग में पहुंच जाते हैं। देवनानी ने आचार्यश्री के अजमेर प्रवास पर कहां की आप पहले संत है जो ढाई दिन के झोपड़े पर गए। ढाई दिन का झोपड़ा पुरातत्व विभाग में आता है। हमने केंद्र सरकार के मंत्री से वार्ता कर ढाई दिन के झोपड़े का वातावरण सुधार कर वहां सभी का आवागमन हो सके ऐसी प्रक्रिया जारी है। जीवन के आचरण में कमी नहीं आनी चाहिए। भारत देश विश्व गुरु है। यदि भारत नहीं है रहा तो विश्व भी नहीं रहेगा। हमें भारत के अनुगामी बनते हुए राष्ट्र, समाज, आध्यात्मिक का प्रथम भाव रखना चाहिए।



