वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत का कपड़ा निर्यात सकारात्मक वृद्धि की ओर अग्रसर

ram

नई दिल्ली। वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत के कपड़ा और परिधान क्षेत्र ने जुलाई में सकारात्मक वृद्धि की राह पर अग्रसर होकर मजबूती का प्रदर्शन किया है, जिससे रोजगार, निर्यात और आर्थिक विकास के प्रमुख चालक के रूप में इस क्षेत्र की भूमिका की पुष्टि होती है। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टैटिस्टिक्स (डीजीसीआईएस) के अनुमानों के अनुसार, जुलाई में प्रमुख कपड़ा वस्तुओं का निर्यात 3.1 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष इसी महीने के 2.94 अरब डॉलर की तुलना में सालाना आधार पर 5.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। अप्रैल-जुलाई 2025 की अवधि के लिए, संचयी कपड़ा निर्यात 12.18 अरब डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 11.73 अरब डॉलर के आंकड़े से 3.87 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। सेगमेंट-वाइज आंकड़े दर्शाते हैं कि इस वर्ष जुलाई में रेडीमेड कपड़ों का निर्यात 1.34 अरब डॉलर रहा, जो जुलाई 2024 के 1.28 अरब डॉलर से 4.75 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। इस वर्ष अप्रैल-जुलाई के लिए संचयी निर्यात 7.87 प्रतिशत बढ़कर 5.53 अरब डॉलर हो गया, जबकि पिछले वर्ष यह 5.13 अरब डॉलर था। सूती वस्त्र (सूती धागे, कपड़े, मेड-अप और हथकरघा) का निर्यात जुलाई 2024 के 970.5 मिलियन डॉलर से 5.2 प्रतिशत बढ़कर 1.02 अरब डॉलर हो गया। अप्रैल-जुलाई 2025 के लिए संचयी निर्यात 3.88 अरब डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष के 3.89 अरब डॉलर से लगभग अपरिवर्तित रहा। कार्पेट निर्यात 8 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 133 मिलियन डॉलर हो गया, जबकि हस्तशिल्प निर्यात में 10 प्रतिशत से अधिक की मजबूत दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज की गई और जुलाई में यह 153.4 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया।

कपड़ा मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, जुलाई 2025 में छह प्रमुख कपड़ा वस्तु समूहों का कुल निर्यात 3.1 अरब डॉलर को पार कर गया, जो मिश्रित वैश्विक व्यापार परिस्थितियों के प्रति मजबूती दर्शाता है। रेडीमेड गारमेंट्स, जूट, कालीन और हस्तशिल्प की निरंतर मांग ने विकास की गति में महत्वपूर्ण योगदान दिया।बयान में कहा गया है कि उद्योग का प्रदर्शन भारत की विविध उत्पाद क्षमता को दर्शाता है, जो कपास और एमएमएफ-आधारित वस्त्रों से लेकर पारंपरिक हस्तशिल्प और पर्यावरण-अनुकूल जूट तक फैली हुई है। बयान में आगे कहा गया है कि आरओएससीटीएल, आरओडीटीईपी, वस्त्रों के लिए पीएलआई, पीएम मित्र पार्क और नेशनल टेक्निकल टेक्सटाइल मिशन, राष्ट्रीय हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम जैसी योजनाओं के तहत पहल इस क्षेत्र को आधुनिक बनाने, इनोवेशन करने और विविधीकरण करने में सक्षम बना रही हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *