भारत ने तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक नया इतिहास रचते हुए अपना पहला पूर्णतया स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर तैयार कर एक तकनीकी क्रांति को आकार दिया है। यह उपलब्धि न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि राष्ट्रीय गौरव का भी प्रतीक है। भारत ने इस तकनीकी क्रांति की तरफ कदम बढ़ते हुए आत्मनिर्भर एवं स्वदेशी तकनीकी प्रगति को नये आयाम दिये हैं। पहला पूर्णतः स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर विकसित करने की उल्लेखनीय उपलब्धि के लिये इसरो की सेमीकंडक्टर लैब साक्षी बनी है। पहली मेड इन इंडिया चिप का उत्पादन गुजरात के साणंद स्थित पायलट प्लांट से शुरू होगा। केंद्र की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के अंतर्गत 18 अरब डॉलर से ज्यादा के कुल निवेश वाली दस सेमीकंडक्टर परियोजनाएं देश में चल रही हैं, अब भारत को इस तरह की तकनीक के लिये विदेशांें के पराधीन नहीं होना होगा। इस कड़ी प्रतिस्पर्धा वाले चिप क्षेत्र में भारत की यह दस्तक उत्साह जगाने वाली है, निश्चित ही इससे भारत की ताकत बढे़गी और तकनीक के साथ-साथ यह आर्थिक विकास को तीव्र गति देगा। फिलहाल आधुनिक समय की इस जादुई चिप के उत्पादन में ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान, चीन और अमेरिका जैसे देशों का वर्चस्व है। विशेषतः भारत की यह जादूई उपलब्धि अमेरिका को आइना दिखाने वाली है, ट्रंप को यह एक बड़ा झटका है।
भारत इस क्षेत्र में एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी बनने के लिये उत्सुक है। तभी सेमीकॉन इंडिया-2025 के उद्घाटन अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि वह दिन दूर नहीं है जब भारत की सबसे छोटी चिप दुनिया में बड़े बदलाव की नींव रखेगी।
-ललित गर्ग