भारत आज भी अंतरिक्ष से सारे जहां से अच्छा दिखता है : शुभांशु शुक्ला

ram

नई दिल्ली। दिल्ली में मीडिया सेंटर में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए Axiom-4 मिशन पर ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने कहा, “..भारत आज भी अंतरिक्ष से सारे जहां से अच्छा दिखता है। जय हिंद, जय भारत Axiom-4 मिशन पर ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने कहा, “… मैं भारत सरकार, ISRO और अपने सहयोगियों का धन्यवाद करना चाहता हूं… हम फाल्कन 9 व्हीकल के ऊपर उड़ान भर रहे थे… क्रू ड्रैगन उन तीन व्हीकल में से एक है जो इंसानों को अंतरिक्ष में ले जा सकता है… इस मिशन में मेरा काम मिशन पायलट का था। क्रू ड्रैगन में चार सीटें होती हैं। मैं मिशन पायलट था और मुझे कमांडर के साथ काम करना था और क्रू ड्रैगन के सिस्टम के साथ बातचीत करनी थी… हमें भारतीय शोधकर्ताओं द्वारा परिकल्पित, विकसित और कार्यान्वित किए गए प्रयोगों को अंजाम देना था। साथ ही STEM प्रदर्शन भी करने थे, तस्वीरें और वीडियोग्राफी भी करनी थी शुभांशु शुक्ला ने कहा, “…मानव अंतरिक्ष मिशन को अंजाम देने का फ़ायदा सिर्फ़ प्रशिक्षण से कहीं ज़्यादा है। वहां रहकर हमें जो अतिरिक्त ज्ञान मिलता है, वह अमूल्य है। पिछले एक साल में मैंने जो भी जानकारी इकट्ठा की है, वह हमारे अपने मिशनों, गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए बेहद उपयोगी होगी… बहुत जल्द हम अपने कैप्सूल से, अपने रॉकेट से और अपनी धरती से किसी को अंतरिक्ष में भेजेंगे… यह अनुभव ज़मीन पर सीखे गए अनुभव से बहुत अलग होता है। शरीर कई बदलावों से गुज़रता है… अंतरिक्ष में 20 दिन बिताने के बाद शरीर गुरुत्वाकर्षण में रहना भूल जाता है। Axiom-4 मिशन पर ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने कहा, “.. यह मिशन बेहद सफल रहा है। हम अपने सभी तकनीकी उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल रहे हैं… ऐसे मिशन के क्रियान्वयन से बहुत सी ऐसी जानकारी मिलती है जिसे मापा या दर्ज नहीं किया जा सकता। ISRO के अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा, “… पिछले 10 वर्षों में प्रगति अभूतपूर्व और तीव्र रही है। 2015 से 2025 तक पूरे किए गए मिशन 2005 से 2015 तक पूरे किए गए मिशनों की तुलना में लगभग दोगुने हैं। पिछले 6 महीनों के दौरान तीन महत्वपूर्ण मिशन पूरे किए गए हैं। एक्सिओम-4 मिशन एक प्रतिष्ठित मिशन है। अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर ले जाए गए और सुरक्षित वापस लाए गए पहले भारतीय शुभांशु शुक्ला हैं। वी. नारायणन ने कहा, “… GSLV-F16 रॉकेट ने 30 जुलाई को सबसे प्रतिष्ठित NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार को सटीक रूप से स्थापित किया… अगले 2-3 महीनों में हम यूएसए का 6500 किलोग्राम का संचार उपग्रह लॉन्च करेंगे, जिसे हमारे प्रक्षेपण वाहन का उपयोग करके प्रक्षेपित किया जाएगा। ISRO के अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा, “…प्रधानमंत्री मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, दक्षिण एशियाई उपग्रह का निर्माण किया गया, उसे प्रक्षेपित किया गया और दक्षिण एशियाई देशों को दान कर दिया गया। उनके नेतृत्व में, हमने G20 देशों के लिए G20 उपग्रह भी तैयार किया है….. 10 साल पहले, अंतरिक्ष क्षेत्र में हमारे पास केवल एक स्टार्टअप कंपनी थी। आज, अंतरिक्ष उद्योग में हमारे पास 300 से अधिक स्टार्टअप हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *