हमारा देश डिजिटल क्रांति के नये युग में प्रवेश कर गया है। देश में लोग तेजी से डिजिटल लेनदेन को अपना रहे हैं। लोगों का डिजिटल भुगतान करने में विश्वास बढ़ा है और इसे प्राथमिकता दे रहे हैं। तेजी से बढ़ता डिजिटल लेनदेन बढ़ती हुई खपत को दर्शाता है। यह डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम के लिए भी अच्छा है। देश में डिजिटल पेमेंट का चलन हर साल तेजी से बढ़ रहा है। गांव हो या शहर, आज लोग कैश की बजाय फोन से पेमेंट करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड की एक रिपोर्ट में भारत को फास्ट पेमेंट्स का बादशाह बताया गया है। देश में हर महीने 18 अरब से ज्यादा ट्रांजेक्शन और 24 लाख करोड़ रुपये का लेन-देन हो रहा है जो कैशलेस होने की दिशा में एक क्रान्तिकारी कदम है। भारत में डिजिटल पेमेंट की शुरुआत साल 2016 में हुई थी। इसके बाद लगातार देश इस क्षेत्र में अपनी बढ़त बनाये हुए है। भारत डिजिटल पेमेंट में दुनिया में नंबर वन बन गया है औरइससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को फायदा मिल रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आज UPI देश के 85 प्रतिशत डिजिटल ट्रांजेक्शन को हैंडल करता है। इतना ही नहीं, ग्लोबल रियल-टाइम पेमेंट्स में भारत की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत के करीब है। यानी दुनिया का आधा डिजिटल पेमेंट भारत के UPI से हो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार 491 मिलियन लोग और 65 मिलियन व्यापारी अब UPI का इस्तेमाल कर रहे हैं। 675 बैंक इस सिस्टम से जुड़े हैं, जिससे कोई भी, कहीं भी, किसी भी बैंक के जरिए आसानी से पेमेंट कर सकता है। यह कदम UPI को दुनिया का सबसे बड़ा रियल-टाइम पेमेंट सिस्टम बनाती है। सरकार ने बताया है कि वित्त वर्ष 2020 से लेकर 2025 तक भारत में कुल 65,000 करोड़ से ज्यादा डिजिटल लेनदेन हुए हैं। इन ट्रांजैक्शनों की कुल वैल्यू 12,000 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा रही है। सरकार डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए RBI और NPCI, फिनटेक कंपनियों, बैंकों और राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही है। छोटे शहरों और गांवों में भी लोग अब डिजिटल पेमेंट को तेजी से अपना रहे हैं। यूपीआई जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म ने छोटे दुकानदारों, रेहड़ी-पटरी वालों ,चाय पान की दुकानों, फुटकर सब्जी विक्रेताओं और गांव के लोगों को भी डिजिटल पेमेंट में सक्षम बनाया है। इससे नकद लेनदेन कम हुआ है और लोग तेजी से बैंकिंग सिस्टम से जुड़ रहे हैं। डिजिटल पेमेंट अब गांव और दूर-दराज इलाकों तक पहुंच चुका है। इसका लाभ सीधे तौर पर समाज के निचले तबके के लोगों को मिल रहा है। देश में नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट में जबरदस्त इजाफा देखने को मिला। लोग कैश के बजाए डिजिटल मोड में बढ़चढ़ कर पेमेंट करने लगे है । यूपीआई पेमेंट को बढ़ावा मिलने लगा है। विशेषकर नोटबंदी के बाद भारत में लोगों पर डिजिटल पेमेंट का ऐसा क्रेज चढ़ा दी देश डिजिटल पेमेंट करने वाले देशों की लिस्ट में टॉप पर शामिल हो गया। देश में यूपीआई ट्रांजैक्शन करने वालों का आंकड़ा दिन-ब-दिन तेजी से बढ़ता ही जा रहा है। आज डिजिटल ट्रांजैक्शन के कई मोड उपलब्ध हैं और इसका इस्तेमाल करने वाले लोगों की तादात में जबरदस्त इजाफा हो रहा है। आरबीआई के डिजिटल पेमेंट इंडेक्स के मुताबिक सितंबर 2024 तक यह सूचकांक 465.33 तक पहुंच चुका था और मार्च 2025 तक 493.22 पर पहुंच गया, जो देश भर में डिजिटल भुगतान के अपनाने, बुनियादी ढांचे और प्रदर्शन में निरंतर बढ़ोत्तरी को दर्शाता है। यह संकेत दर्शाता है है कि भारत का डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र तेजी से सशक्त हो रहा है। ई-कॉमर्स या इ-व्यवसाय इंटरनेट के माध्यम से व्यापार का संचालन है। न केवल खरीदना और बेचना, बल्कि ग्राहकों के लिये सेवाएं और व्यापार के भागीदारों के साथ सहयोग भी इसमें शामिल है। ई-पेमेंट को हम इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट के नाम से भी जानते हैं ई-पेमेंट याइलेक्ट्रॉनिक ई-पेमेंट किसी भी डिजिटल फाइनेंसियल पेमेंट लेनदेन है जिसमें दो या दो से अधिक पार्टियों के बीच मनी ट्रान्सफर शामिल है। इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट इंटरनेट आधारित प्रक्रियाएं हैं। जो ग्राहक या उपयोगकर्ता को उनकी खरीदारी आदि के लिए ऑनलाइन पेमेंट करने में मदद करती है। इंटरनेट पर पैसे ट्रांसफर करने के लिए। इनमें मुख्य है इलेक्ट्रॉनिक कैश, स्मार्ट कार्ड और डेबिट क्रेडिट, गूगल पे, फोन पे आदि।
-बाल मुकुन्द ओझा



