वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को वाराणसी में मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तरीय वार्ता के बाद कहा कि भारत और मॉरीशस केवल साझेदार नहीं बल्कि परिवार हैं। भारत और मॉरीशस दो राष्ट्र हैं, लेकिन हमारे सपने और नियति एक हैं। काशी में आयोजित इस मुलाकात के दौरान दोनों प्रधानमंत्रियों की मौजूदगी में भारत और मॉरीशस के बीच सात प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। इनमें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग के साथ भारतीय वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और मॉरीशस ओशनोग्राफी संस्थान के बीच समझौता, भारत के कर्मयोगी भारत कार्यक्रम और मॉरीशस के लोकसेवा मंत्रालय के बीच साझेदारी, विद्युत क्षेत्र में सहयोग, लघु विकास परियोजनाओं के दूसरे चरण में भारतीय अनुदान सहायता, हाइड्रोग्राफी क्षेत्र में समझौता नवीनीकरण और अंतरिक्ष अनुसंधान और अनुप्रयोगों के लिए उपग्रहों और प्रक्षेपण यानों के लिए ट्रैकिंग एवं टेलीमेट्री स्टेशन स्थापित करने पर सहयोग शामिल हैं।
इसके अलावा शिक्षा और शोध के लिए आईआईटी मद्रास व यूनिवर्सिटी ऑफ मॉरीशस तथा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांटेशन मैनेजमेंट व यूनिवर्सिटी ऑफ मॉरीशस के बीच दो अलग समझौते हुए। साथ ही, तामारिन्ड फॉल्स में 17.5 मेगावाट का फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट लगाने की दिशा में एनटीपीसी और मॉरीशस की विद्युत इकाई के बीच समझौता आगे बढ़ाने पर सहमति बनी।
इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह उनके लिए गर्व का विषय है कि उन्हें अपने संसदीय क्षेत्र काशी में मॉरीशस के प्रधानमंत्री का स्वागत करने का अवसर मिला। उन्होंने कहा, “अनादिकाल से काशी भारत की सभ्यता और सांस्कृतिक आत्मा का प्रतीक रही है। हमारी संस्कृति और संस्कार सदियों पहले मॉरीशस पहुंचे और वहां की जीवनधारा में रच-बस गए।”
मोदी ने कहा कि मार्च में उन्हें मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में शामिल होने का सौभाग्य मिला था, जहां दोनों देशों ने संबंधों को संवर्धित रणनीतिक साझेदारी का दर्जा दिया। उन्होंने चागोस समझौते पर मॉरीशस को बधाई दी और कहा कि यह उसकी संप्रभुता की ऐतिहासिक जीत है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत हमेशा मॉरीशस के उपनिवेशवाद-विरोधी रुख और उसकी संप्रभुता के साथ मजबूती से खड़ा रहा है। प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत ने मॉरीशस की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए विशेष आर्थिक पैकेज तैयार किया है, जिससे बुनियादी ढांचे को मजबूती, रोजगार सृजन और स्वास्थ्य सेवाओं को नई ऊर्जा मिलेगी।
मोदी ने कहा कि पिछले वर्ष मॉरीशस में यूपीआई और रूपे कार्ड की शुरुआत हुई थी। अब दोनों देश स्थानीय करंसी में व्यापार की दिशा में आगे बढ़ेंगे।
प्रधानमंत्री ने हिंद महासागर क्षेत्र को दोनों देशों की साझा प्राथमिकता बताते हुए कहा कि भारत मॉरीशस के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र की सुरक्षा और उसकी समुद्री क्षमता को मजबूत करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “भारत ने हमेशा इस क्षेत्र में प्रथम प्रत्युत्तरदाता और शुद्ध सुरक्षा प्रदाता के रूप में भूमिका निभाई है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि काशी और मॉरीशस का रिश्ता केवल कूटनीति या साझेदारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक आत्मीयता का प्रतीक है। उन्होंने इसे “आत्मिक मिलन” बताते हुए कहा कि जैसे गंगा का प्रवाह अनादि काल से अविरल रहा है, वैसे ही भारतीय संस्कृति का प्रवाह मॉरीशस को लगातार समृद्ध करता रहा है।
वहीं, मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ. रामगुलाम ने भारत के निरंतर सहयोग के लिए आभार जताया। उन्होंने कहा, “भारत ने स्वास्थ्य, शिक्षा, क्षमता निर्माण, अक्षय ऊर्जा, अवसंरचना और समुद्री सुरक्षा सहित अनेक क्षेत्रों में उदार सहयोग किया है। यह विशेष आर्थिक पैकेज हमारे लिए शिक्षा, ऊर्जा, अवसंरचना और स्वास्थ्य सेवाओं में नई संभावनाएं खोलेगा। आयुर्वेदिक केन्द्र भी भारत के सहयोग से एक अद्वितीय पहल होगी।”