प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इटली के अपुलिया में जी7 शिखर सम्मेलन से इतर पोप फ्रांसिस से मुलाकात की है। मोदी ने 2021 में वेटिकन में पोप फ्रांसिस से मुलाकात की थी, जिसमें दोनों ने कोविड-19 प्रकोप सहित कई मुद्दों पर चर्चा की थी। वह निवर्तमान पोप से मिलने वाले पहले प्रधानमंत्री थे, जो 2013 में कैथोलिक चर्च के प्रमुख बने। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोप फ्रांसिस को भारत आने का न्योता दिया और कहा कि वह लोगों की सेवा के प्रति पोप की प्रतिबद्धता की सराहना करते हैं। मोदी और पोप फ्रांसिस नेदक्षिणी इटली के अपुलिया में जी7 शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्र में गर्मजोशी से मुलाकात की। उन्होंने विश्व के अन्य नेताओं के साथ महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान पोप फ्रांसिस से मुलाकात की। मैं लोगों की सेवा करने और हमारे ग्रह को बेहतर बनाने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की सराहना करता हूं। साथ ही उन्हें भारत आने का निमंत्रण भी दिया।
सबसे पहले आपको वेटिकन सिटी के बारे में बताते हैं-
यूरोप महाद्वीप में स्थित यह विश्व का सबसे छोटा देश और स्वतंत्र राज्य है, जहा पोप का प्रशासन है। यह इटली के शहर रोम के पास स्थित है। इसका क्षेत्रफल केवल 44 हेक्टेयर है। इसकी राजभाषा है लैटिन। ईसाई धर्म के प्रमुख संप्रदाय रोमन कैथोलिक चर्च और उसके सर्वोच्च धर्मगुरु पोप का निवास होने के कारण यह विश्व भर में जाना जाता है। यहां की जनसंख्या तकरीबन 800 है। सेंट पीटर गिरजाघर, वेटिकन बाग तथा कई अन्य गिरजाघर स्थित हैं। 1929 में एक संधि के अनुसार इसे स्वतंत्र देश स्वीकार किया गया।
पोप कौन होते हैं और इनकी धार्मिक जिम्मेदारी क्या होती है?
ईसा मसीह के बाद कैथलिक धर्म के सबसे बड़े पद को पोप कहा जाता है। ‘पोप’ का शाब्दिक अर्थ ‘पिता’ होता है। रोमन काथलिक चर्च के परमाधिकारी को ‘होली फादर’ अथवा पोप कहते हैं। पोप न सिर्फ़ दुनिया के सबसे छोटे देश वेटिकन सिटी के राष्ट्राध्यक्ष होते हैं बल्कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फैले 1.2 अरब कैथोलिक ईसाइयों के आध्यात्मिक नेता भी हैं। पोप के नियमित कामों में हर रविवार को वेटिकन पहुंचे दुनिया भर के श्रद्धालुओं को संबोधित करना और उन्हें आशीर्वाद देना शामिल होता है। इसके लिए वो अपने अध्ययन कक्ष की उस खिड़की का इस्तेमाल करते हैं जहां से सेंट पीटर्स स्कवेयर का भव्य नज़ारा दिखता है। विदेश दौरे भी पोप की ज़िम्मेदारियों में शामिल हैं। चर्च के क़ानून के तहत हर बिशप को रोम जाना ज़रूरी है ताकि वो बता सकें कि उनके डायोसिस में क्या हो रहा है।