हरिद्वार। श्रद्धा की भीड़ में एक बार फिर मौत ने दस्तक दी। रविवार सुबह हरिद्वार के प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में भगदड़ मच गई। इस दर्दनाक हादसे में छह श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 15 से अधिक लोग घायल हुए हैं। हादसे के बाद मंदिर परिसर और आसपास के इलाकों में अफरा-तफरी मच गई। मंदिर की सीढ़ियों पर हुआ यह हादसा इतना भयावह था कि वहां चीख-पुकार और भगदड़ के दृश्य लंबे समय तक लोगों को दहशत में डालते रहे। बताया जा रहा है कि मंदिर के मुख्य मार्ग पर श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ जमा हो गई थी। सावन मास का रविवार होने के कारण हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर दर्शन के लिए पहुंचे थे। इसी दौरान सीढ़ियों वाले मार्ग पर अचानक भगदड़ मच गई। शुरुआती जानकारी के अनुसार, कुछ लोगों ने खंभे में करंट उतरने की आशंका जताई, जिससे श्रद्धालुओं में अफरा-तफरी फैल गई और भगदड़ की स्थिति बन गई। गढ़वाल मंडल आयुक्त विनय शंकर पांडे ने हादसे की पुष्टि करते हुए कि भगदड़ में छह लोगों की जान गई है और वह खुद घटनास्थल के लिए रवाना हो चुके हैं। वहीं, गढ़वाल के डीसी विनय कुमार ने इस बात से इनकार किया है कि भगदड़ की वजह करंट था। उन्होंने स्पष्ट किया कि करंट फैलने की बात अफवाह हो सकती है, हालांकि हादसे के कारणों की विस्तृत जांच की जा रही है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, हादसे की सूचना सुबह 9 बजे कंट्रोल रूम को मिली। हरिद्वार के एसपी प्रमेन्द्र सिंह डोबाल ने बताया कि मुख्य सीढ़ी मार्ग पर भगदड़ मचने की खबर के बाद पुलिस टीमें तत्काल मौके पर पहुंचीं। रेस्क्यू कर घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पतालों में पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने अब तक छह लोगों की मौत की पुष्टि की है, जबकि कई अन्य गंभीर हालत में भर्ती हैं। कुल 35 से अधिक लोगों को अस्पताल लाया गया था।
हादसे की एक अहम वजह करंट फैलने की अफवाह मानी जा रही है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मंदिर के पास लगे एक खंभे में शॉर्ट सर्किट हुआ था, जिससे करंट फैलने की आशंका बनी और लोगों में भगदड़ मच गई। हालांकि प्रशासन इस वजह को लेकर अब तक स्पष्ट नहीं है और जांच जारी है। प्रशासन ने यह जरूर माना है कि मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ थी और उस पर नियंत्रण नहीं रखा जा सका। हादसे के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर शोक संदेश जारी करते हुए लिखा, “हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर में भगदड़ मचने का अत्यंत दुखद समाचार प्राप्त हुआ है। SDRF, स्थानीय पुलिस और अन्य बचाव दल की टीमें मौके पर राहत एवं बचाव कार्यों में जुटी हैं। मैं स्थानीय प्रशासन के निरंतर संपर्क में हूं और स्थिति पर निगरानी रखी जा रही है। माता रानी से सभी श्रद्धालुओं की कुशलता की प्रार्थना करता हूं।” फिलहाल मंदिर परिसर को नियंत्रित कर लिया गया है और स्थिति सामान्य बताई जा रही है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या उत्तराखंड जैसे धार्मिक और संवेदनशील क्षेत्र में प्रशासन ने सावन जैसे विशेष अवसर पर इतनी भीड़ की संभावना के बावजूद उचित व्यवस्था की थी? क्या भीड़ नियंत्रण, आपातकालीन मार्ग और विद्युत सुरक्षा जैसे मूलभूत इंतजाम सुनिश्चित किए गए थे?
स्थानीय श्रद्धालुओं और मंदिर के आस-पास के दुकानदारों का कहना है कि यहां हर रविवार भारी भीड़ जुटती है, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था हमेशा लचर बनी रहती है। घटना के वक्त न तो पर्याप्त पुलिस बल था और न ही रूट कंट्रोल के लिए बैरिकेडिंग। वहीं प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं और मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री राहत कोष से मृतकों के परिवारों को दो-दो लाख रुपये और घायलों को पचास-पचास हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। घटनास्थल से जुड़े वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं, जिसमें श्रद्धालु एक-दूसरे पर गिरते नजर आ रहे हैं। कुछ लोगों को बेहोशी की हालत में स्ट्रेचर पर लाया गया, जबकि कई घायलों का मौके पर ही प्राथमिक उपचार किया गया। हरिद्वार के इस हादसे ने न सिर्फ श्रद्धालुओं के बीच भय का माहौल पैदा किया है, बल्कि प्रशासन की तैयारियों और जिम्मेदारियों पर भी सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। जांच रिपोर्ट जो भी आए, लेकिन यह स्पष्ट है कि ऐसी घटनाएं केवल श्रद्धालुओं की नहीं, बल्कि संपूर्ण व्यवस्था की विफलता का प्रतीक बनती जा रही हैं। स्थिति पर नज़र रखी जा रही है और जैसे ही जांच से संबंधित नई जानकारी सामने आएगी, खबर को अपडेट किया जाएगा।



