-16 किलोमीटर लंबी टनल में छिपा है शहर का नेटवर्क
गांधीनगर। क्या आपने कभी ऐसा शहर देखा है, जहां बिजली, पानी या टेलीफोन लाइन बिछाने के लिए सड़कों की खुदाई न करनी पड़े? सुनकर हैरानी होगी, लेकिन गुजरात की राजधानी गांधीनगर के पास विकसित हो रही गिफ्ट सिटी (Gujarat International Finance Tec-City) इस मायने में देश का पहला और अनोखा शहर है। देशभर में जयपुर समेत कई शहरों को स्मार्ट सिटी घोषित किया गया, लेकिन गिफ्ट सिटी को उन सबके लिए मॉडल स्मार्ट सिटी कहा जा सकता है। यहां तीन सौ से अधिक बहुमंजिला इमारतों के लिए सारी बुनियादी सुविधाएं – बिजली, पानी, सीवरेज, गैस पाइपलाइन, इंटरनेट केबल, कूलिंग सिस्टम और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट – एक ही भूमिगत टनल सिस्टम से उपलब्ध कराई जा रही हैं। गिफ्ट सिटी के इस अत्याधुनिक टनल नेटवर्क की लंबाई करीब 16 किलोमीटर है। हमने इस टनल का दौरा किया और देखा कि किस तरह हर सुविधा बिना सड़क काटे सीधे इमारतों तक पहुंचाई जा रही है। यहां हर बिल्डिंग में एक ही प्वाइंट पर सभी कनेक्शन उपलब्ध होते हैं। गिफ्ट सिटी की एक और बड़ी विशेषता है यहां का डिस्ट्रिक्ट कूलिंग सिस्टम। इसके तहत टनल के जरिए ठंडा पानी बहुमंजिला इमारतों तक पहुंचता है और डक्टिंग के जरिये पूरी इमारत में ठंडी हवा बनाए रखता है। यानी यहां की इमारतों को अलग से एयर कंडीशनर लगाने की जरूरत नहीं होगी। अहमदाबाद और गांधीनगर के बीच बसे इस शहर को मेट्रो ट्रेन से भी जोड़ा जा रहा है। इससे न सिर्फ यहां की कनेक्टिविटी बेहतर होगी, बल्कि यह क्षेत्र भविष्य में देश का अंतरराष्ट्रीय वित्तीय और तकनीकी केंद्र बनने की ओर तेजी से आगे बढ़ेगा। गिफ्ट सिटी वह मॉडल है, जहां बिना सड़क खोदे ही आधुनिक शहर की सभी सुविधाएं संभव हैं। यही कारण है कि इसे भारत की असली स्मार्ट सिटी का चेहरा माना जा रहा है।गिफ्ट सिटी में करीब 8.5 किलोमीटर लंबा अंडरग्राउंड यूटिलिटी टनल बनाया गया है। इस टनल में बिजली, पानी, गैस पाइपलाइन, सीवरेज, टेलीकॉम और इंटरनेट केबल सहित तमाम जरूरी सेवाओं की लाइनें एक ही जगह बिछाई गई हैं। साथ ही यहां ऑटोमैटेड वेस्ट कलेक्शन सिस्टमभी है, जिससे शहर का ठोस कचरा सीधे टनल के जरिए प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुंचता है। भारत के ज्यादातर शहरों में जैसे ही किसी बिजली या पानी की लाइन खराब होती है, तुरंत सड़क तोड़कर मरम्मत की जाती है। इससे यातायात बाधित होता है और रखरखाव महंगा व समय लेने वाला हो जाता है। गिफ्ट सिटी में यह समस्या खत्म हो चुकी है। यहां इंजीनियर या तकनीकी स्टाफ को सीधे टनल में प्रवेश करना होता है और वहीं पर बैठकर मरम्मत का काम किया जा सकता है। इससे सड़कें बार-बार नहीं टूटतीं और ट्रैफिक पर भी असर नहीं पड़ता। न तो यहां गार्बेज कलेक्शन की डोर टू डोर सर्विस होगी न हीं पेयजल के लिए अलग से व्यवस्था होगी. यहां आप किसी भी टेप से पानी निकाल कर सीधे पी सकते हैं. टनल सिस्टम पूरी तरह से भविष्यवादी शहरी योजना का हिस्सा है। यह न केवल रखरखाव को आसान बनाता है बल्कि शहर को स्वच्छ, व्यवस्थित और टिकाऊ बनाए रखने में मदद करता है। विश्वस्तर पर देखा जाए तो दुबई, सिंगापुर और हांगकांग जैसे शहरों में ऐसी व्यवस्थाएं पहले से हैं, और गिफ्ट सिटी उसी श्रेणी में अपनी पहचान बना रहा है।
अंडर ग्राउंड यूटिलिटी कॉरिडोर में कैसे होता है काम ?
इस टनल को यूटिलिटी कॉरिडोर कहा जाता है। बिजली की हाई-वोल्टेज और लो-वोल्टेज केबल्स,पीने के पानी की पाइपलाइन,फायर फाइटिंग और गैस पाइपलाइन,टेलीकॉम और इंटरनेट फाइबर केबल्स,सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम,ऑटोमैटिक वेस्ट कलेक्शन पाइपलाइन सब कुछ एक साथ रखा गया है, लेकिन अलग-अलग चेंबर में ताकि किसी एक में खराबी हो तो बाकी पर असर न पड़े। किसी भी केबल या पाइपलाइन में खराबी आने पर इंजीनियर टनल के प्रवेश द्वार से नीचे उतर जाते हैं। सड़क पर खुदाई की जरूरत नहीं होती क्योंकि सारी लाइनों तक पहुंच टनल के अंदर से ही हो जाती है। यहां हर जगह मॉनिटरिंग सेंसर लगे हैं, जिससे यह पता चल जाता है कि खराबी कहां है। इस तरह मरम्मत कार्य तेज़, सुरक्षित और ट्रैफिक को बिना बाधित किए हो जाता है।. ऑटोमैटेड वेस्ट कलेक्शन सिस्टम (AWCS)
गिफ्ट सिटी की यह तकनीक बेहद खास
शहर के हर ब्लॉक में कचरा डालने के पॉइंट बने हैं। यह कचरा भूमिगत पाइपलाइन के जरिए वैक्यूम पावर से सीधे प्रोसेसिंग प्लांट तक खिंच जाता है। यानी शहर में कहीं कूड़ा गाड़ी घूमते नहीं दिखेगी और बदबू- गंदगी नहीं गिफ्ट सिटी का यह मॉडल सिंगापुर और दुबई जैसी जगहों से प्रेरित है। अगर भारत के बड़े शहरों में भी यह अंडरग्राउंड यूटिलिटी टनल सिस्टम अपनाया जाए तो बार-बार की खुदाई, ट्रैफिक जाम और गंदगी से छुटकारा मिल सकता है।