जायल। जलझूलनी एकादशी के पावन अवसर पर मंगलवार को कस्बे में आस्था और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला। नगर के प्राचीन चारभुजा मंदिर से भगवान की भव्य शोभायात्रा बेंड-बाजों की धुन और श्रद्धालुओं की जयकारों के साथ रवाना हुई। शोभायात्रा नगर के प्रमुख मार्गों से होती हुई ढिंढोलाव तालाब पहुंची, जहां भगवान का पंचामृत स्नान कराया गया। इसके बाद तालाब किनारे भव्य संध्या आरती का आयोजन हुआ। इस अवसर पर मंदिर समिति की ओर से भगवान को विशेष भोग अर्पित किया गया और श्रद्धालुओं को प्रसादी वितरित की गई। नगर के नरसी, बंशीवाला, जानकी और लक्ष्मीनारायण मंदिरों सहित कटौती और खिंयाला ठाकुरजी मंदिर से भी परंपरागत झांकियां निकाली गईं। महिला मंडल और विभिन्न धार्मिक दलों ने भजनों व जयकारों से वातावरण को भक्तिमय बना दिया। शोभायात्रा के दौरान नगरवासियों ने जगह-जगह श्रद्धालुओं का स्वागत कर जलपान और फल-फ्रूट की व्यवस्था की। परंपरा अनुसार किसानों ने बाजरी, मतीरा और फलियां भगवान को अर्पित कीं। वहीं तालाब किनारे बच्चों के लिए खिलौनों की दुकानें भी सजीं। इस बार तालाब में अच्छी वर्षा जल की आवक होने से श्रद्धालुओं का उत्साह और भी बढ़ गया। कस्बे का पूरा वातावरण धार्मिक उल्लास और आस्था के रंग में रंगा नजर आया। भक्त झूमते हुए भजनों पर नाचते-गाते रहे और “चारभुजा नाथ की जय” के उद्घोष गूंजते रहे।

जायल में जलझूलनी एकादशी पर निकली भव्य शोभायात्रा
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