राज्यपाल ने लातूर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 59 वें देवगिरी राज्य सम्मेलन का शुभारंभ किया

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युवा ‘विकसित भारत’ के संकल्प को पूरा करने में अपनी भागीदारी निभाएं—राज्यपाल
जयपुर। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने गुरुवार को महाराष्ट्र के लातूर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 59 वें देवगिरी राज्य सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के युवाओं का आह्वान किया कि वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आलोक में स्वरोजगार और आत्मनिर्भर भारत से जुड़कर ‘विकसित भारत’ के संकल्प को पूरा करने में अपनी भागीदारी निभाएं। बागडे ने कहा कि देश की देश के जीडीपी में लगभग 34 प्रतिशत योगदान युवाओं का है। एबीवीपी ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना के साथ राष्ट्र के विकास में विभिन्न क्षेत्रों में युवाओं को जोड़ने की पहल करे। उन्होंने इस संगठन के जरिए गांव और शहर का भेद मिटाते हुए देश के सर्वांगीण विकास के लिए संकल्पबद्ध होकर कार्य करने पर जोर दिया।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति—2020 का निर्माण ऐतिहासिक पहल
राज्यपाल ने कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबके प्रयास’ से भारत को फिर से विश्व गुरु बनाने के लिए सब मिलकर कार्य करें। उन्होंने कहा कि जब युवा अपने विचारों और ऊर्जा का योगदान राष्ट्र की समृद्धि में करेगा तो निश्चित ही अच्छे परिणाम सामने आएंगे। बागडे ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक जड़ों को खोखला करने के लिए मैकाले द्वारा देश की शिक्षा पद्धति को बदला गया। होना तो यह चाहिए था कि देश में 15 अगस्त, 1947 को जिस तरह से झंडा बदला गया था वैसा ही शिक्षा व्यवस्था में भी बदलाव होना चाहिए था, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ। इसलिए हम आज भी इसका परिणाम भुगत रहे हैं।

उन्होंने कहा कि 1986 में जो शिक्षा नीति बनी, उसके 34 वर्ष बाद 2020 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का निर्माण ऐतिहासिक पहल है। इसमें भारतीयता को सर्वोच्च महत्व दिया गया। यह नीति विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखकर तैयार की गयी है। यह स्वरोजगार को बढ़ावा देने वाली है।राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परम्परा के साथ आधुनिक सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर इसे तैयार करने की चर्चा करते हुए कहा कि युवाओं को राष्ट्र विकास के लिए संकल्पबद्ध होकर कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के इतिहास की चर्चा करते हुए कहा कि इस संगठन की बलराज मधोक जी की पहल पर इसलिए स्थापना हुई कि इससे राष्ट्रोत्थान के लिए कार्य किया जा सके। उन्होंने देवगिरी राज्य सम्मेलन को महत्वपूर्ण बताया।

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