राजस्थान में अच्छी बारिश ने बढ़ाया भूमिगत जलस्तर

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देश के अनेक राज्यों में भारी वर्षा से नदी, नालों, तालाबों, झीलों, कुओं और बांधों में पानी कीअच्छी आवक से भूजल स्तर में वृद्धि के साथ पेयजल किल्लत वाले क्षेत्रों में ख़ुशी की लहर देखी जा रही है। भारी बारिश से जहां गर्मी की कमर टूटी है वहां जन जीवन भी प्रभावित हुआ है। मरू प्रदेश राजस्थान में पिछले वर्ष की भांति इस मानसून सीज़न में भी जोरदार वर्षा होने से फसल अच्छी होने की जानकारी मिली है वहीं सूखे कुएं रिचार्ज होने के संकेत मिल रहे है। राजस्थान में इस साल मानसून ने शानदार शुरुआत की है। 1 जून से 31 जुलाई 2025 तक राज्य में औसतन 413.1 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जो सामान्य से 91प्रतिशत अधिक है। इस दौरान राज्य के विभिन्न हिस्सों में अत्यधिक बारिश ने जलभराव और कृषि कार्यों पर सकारात्मक असर डाला। हालांकि अतिवृष्टि और बाढ़ से जन जीवन अस्त व्यस्त होने के साथ जानमाल के नुक्सान की जानकारी भी मिली है। जुलाई का महीना मॉनसून के लिहाज से राजस्थान के लिए ऐतिहासिक रहा। मौसम विभाग के अनुसार, इस साल जुलाई में 285 मिमी बारिश दर्ज की गई, जिसके कारण 69 साल का रिकॉर्ड टूट गया। इससे पहले 1956 में जुलाई के महीने में 308 मिमी बारिश हुई थी। ग्रामीणों का कहना है हमारी नदियों और अन्य स्रोतों में पानी की अच्छी आवक होने से भूमिगत जलस्तर में आशातीत रूप से वृद्धि हुई है। अनेक नदियां वर्षों से सूखी पड़ी थी, उनमें भी पानी आया है। इससे अगले वर्ष गर्मी के मौसम में पानी का संकट होने के आसार नहीं हैं। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के मुताबिक इस मानसून में, राजस्थान में अच्छी बारिश होने से प्रदेश के जलाशय/बाँध, समय पूर्व भर चुके हैं तथा कर्मभूमि से मातृभूमि एवं वंदे गंगा जल संरक्षण- जन अभियान के माध्यम से, राज्य के भूजल स्तर में भी वृद्धि होगी। भूजल स्तर में वृद्धि होने से डार्क जोन क्षेत्रों के कुओं, हैडपम्पों और ट्यूबवेल सहित अन्य स्रोतों में पानी आने से पेयजल की किल्लत ख़त्म होने के आसार है। एक अधिकृत जानकारी के मुताबिक मौजूदा मानसून में जुलाई माह के अंत तक प्रदेश के 693 में से 260 बांध (37.51 फीसदी) फुल हो गए है। जबकि 297 बांध ऐसे है जो आंशिक तौर पर भरे है। अच्छी बरसात से कई बांध छलक गए। बीसलपुर, कोटा बैराज, राणा प्रताप सागर, कालीसिंध, जवाहर सागर, पार्वती, पांचना समेत कई बांधों के गेट खोलकर लगातार पानी छोड़ा गया। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अनेक जिलों की नदियों में पानी की आवक से लोगों के चेहरों पर ख़ुशी देखी जा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है पानी की अच्छी आवक से भूमिगत जलस्तर में आशानुरूप रिचार्ज होने के समाचार मिल रहे है। राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य है। यह प्रदेश रेतीला, बंजर, पर्वतीय और उपजाऊ कच्छारी मिट्टी से मिलकर बना है। राज्य की अर्थ व्यवस्था कृषि एवं ग्रामीण आधारित है। कृषि और पशु पालन यहां के निवासियों के मुख्य रोजगार है। वर्षा की अनियमितता के कारण यह प्रदेश अनेकों बार सूखे और अकाल का शिकार हुआ। मगर प्रदेश- वासियों ने विपरीत स्थितियो में भी जीना सीखा और अपने बुलन्द हौसले को बनाये रखा। राजस्थान अपनी जल-जरूरतों की पूर्ति के लिए सबसे ज्यादा भू-जल पर ही निर्भर है। यह ग्रामीण एवं शहरी घरेलू जलापूर्ति का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। पिछले कुछ वर्षों में लाखों निजी कुओं के निर्माण से भूजल के दोहन में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। इसके अलावा खेती में सिंचाई भूजल के माध्यम से होती है। जिसके परिणामस्वरूप भूजल में गिरावट आई है। भू-जल दोहन के अनुपात में जल की प्राप्ति नहीं होने से संकट बढ़ रहा है। घटते भू-जल के लिए सबसे प्रमुख कारण उसका अनियन्त्रित और अनवरत दोहन है। इस वर्ष मानसून में अनेक ऐसी नदियों और तालाबों में पानी आने के समाचार भी मिल रहे जो वर्षों से सूखे की मार झेल रहे थे। भूजल खेती और सिंचाई के कार्य में बहुतायत से उपयोग में आता है। संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय-पर्यावरण और मानव सुरक्षा संस्थान की एक रिपोर्ट में बताया गया है, भूजल की वर्तमान स्थिति को सुधारने के लिये भूजल का स्तर और न गिरे इसदिशा में काम किए जाने के अलावा उचित उपायों से भूजल संवर्धन की व्यवस्था हमें करनी होगी। पानी की कमी के चलते निरन्तर खोदे जा रहे गहरे कुओं और ट्यूबवेलों द्वारा भूमिगत जल का अन्धाधुन्ध दोहन होने से भूजल का स्तर निरन्तर घटता जा रहा है। देश में जल संकट का एक बड़ा कारण यह है कि जैसे-जैसे सिंचित भूमि का क्षेत्रफल बढ़ता गया वैसे-वैसे भूगर्भ के जल के स्तर में गिरावट आई है। वैज्ञानिकों के मुताबिक भूजल स्तर को फिर से जीवंत करने में वर्षा जल मदद करता है। पेयजल का मुख्य स्रोत भूगर्भ जल ही है। भूजल वह जल होता है जो चट्टानों और मिट्टी से रिस जाता है और भूमि के नीचे जमा हो जाता है। जिन चट्टानों में भूजल जमा होता है, उन्हें जलभृत कहा जाता है। भारी वर्षा से जल स्तर बढ़ सकता है और इसके विपरीत, भूजल का लगातार दोहन करने से इसका स्तर
गिर भी सकता है।

-बाल मुकुन्द ओझा

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