जमवारामगढ़। राधे गोविन्ददेव मंदिर नांगल तुलसीदास मं रविवार दिनांक 4 अप्रैल को मंदिर महंत चिरंजीव दास महाराज के सानिध्य में गंगा सप्तमी पर्व मनाया गया। जिसके उपलक्ष्य में मंदिर में विराजमान भगवान राधे गोविन्ददेव जी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराया गया उसके उपरांत भगवान के खीर चूरमे का भोग लगाया गया।
इस मौके पर चिरंजीव दास महाराज ने बताया की गंगा सप्तमी का त्योहार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है इस दिन को गंगा जयंती भी कहा जाता है। यह दिन इसलिए पर्व की तरह मनाया जाता है क्योंकि इस दिन मोक्षदायिनी पवित्र और दिव्य मां गंगा का जन्म हुआ था। कहते हैं कि इसी दिन मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं और कैलाश पर्वत पर भगवान शिव की जटाओं में समाहित हो गई थीं। पुराणों एवं प्राचीन मान्यताओं के अनुसार गंगा सप्तमी पर गंगा स्नान करने का भी विशेष महत्व है,, क्योंकि इस दिन गंगा स्नान से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। गंगा सप्तमी के दिन विशेष पूजा-अर्चना और दान-पुण्य का भी बहुत महत्व होता है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी ध्यान में लीन थे और तभी भगवान विष्णु वहाँ पहुंचे भगवान विष्णु को देख ब्रह्मा जी ने अपना कमंडल उठाया और कमंडल में रखे साधारण जल से भगवान विष्णु के चरण धोए फिर ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु के चरणों से स्पर्श हुए उस जल को वापस से कमंडल में भर लिया उस जल में इतना तेज था कि उससे एक देवी उत्पन्न हुई जिसका नाम ब्रह्मा जी ने गंगा रखा उन देवी के जन्म से एक ऊर्जा पैदा हुई जो ब्रह्म लोक समेत सभी लोकों में मौजूद नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करने लगीं तब भगवान विष्णु ने देवी गंगा को सृष्टि में मां के रूप में पूजे जाने का वरदान दिया तभी से इस दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाने लगा ।
चिरंजीव दास महाराज ने बताया कि गंगा सप्तमी के दिन अज्ञानतावश हुए पापों से मुक्ति के लिए गंगा स्नान को विशेष महत्व दिया गया है अगर कोई गंगा स्नान नहीं कर पाए तो उसे घर पर ही नहाते समय जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए ऐसा करने से भी पवित्र स्नान का फल प्राप्त होता है इस दिन सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए गंगाजल में दूध अर्पित करना चाहिए साथ ही कपूर का दीपक जलाकर जल में प्रवाहित करना चाहिए इस दिन दान-पुण्य को भी बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है इस दिन दान करने से सभी दु:ख दूर होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग खुल जाते हैं गंगा सप्तमी पर भगवान शिव की उपासना का भी विशेष महत्व है क्योंकि मां गंगा के तिर्व वेग को कम करने के लिए भगवान शंकर ने माता गंगा को इसी दिन अपनी जटाओं में स्थान दिया था इस विशेष दिन पर गंगाजल में बेलपत्र डालकर भगवान शिव का विधि-विधान से अभिषेक करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
इस मौके पर जमवारामगढ़ विधायक महेन्द्र पाल मीना, बिजेंद्र चंदीजा, महेन्द्र कुमार खटाना, एडवोकेट शशांक चतुर्वेदी, विकास, हनुमान सहाय गुर्जर, पुष्पा गुर्जर, लक्ष्मी गुर्जर, भौनेश्वरी गुर्जर, देविका आदि मौजूद रहे।

राधे गोविन्द देव मंदिर नांगल तुलसीदास में मनाया गया गंगा सप्तमी पर्व
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