नई दिल्ली। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। साथ ही, उन्होंने दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे संबंधों की तारीफ की। उन्होंने संकट के समय उन्हें शरण देने के लिए भारत को धन्यवाद दिया और देश को एक महत्वपूर्ण पड़ोसी और पार्टनर बताया। समाचार एजेंसी आईएएनएस से खास बातचीत में जब उनसे पूछा गया कि वह बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति में प्रधानमंत्री मोदी की भूमिका को कैसे देखती हैं, तो हसीना ने कहा, “भारत एक महत्वपूर्ण पड़ोसी और पार्टनर है। मैं प्रधानमंत्री मोदी के समर्थन और दोनों देश के बीच लंबे समय से चले आ रहे संबंधों की कद्र करती हूं। व्यक्तिगत और कूटनीतिक स्तर पर, मैं खतरे के समय मुझे दी गई शरण के लिए आभारी हूं। भारत के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंध बांग्लादेश के हित में हैं और वे स्थायी क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद कर सकते हैं।” पिछले साल अगस्त में जब हसीना की लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार हिंसक प्रदर्शन के बीच गिर गई, तब वह भारत आ गईं। हाल ही में ढाका में एक स्पेशल ट्रिब्यूनल ने उन्हें उनकी गैरमौजूदगी में मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए मौत की सजा सुनाई। आरोप था कि हसीना प्रशासन द्वारा छात्र-नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों को बेरहमी से दबाया गया।
जब उनसे पूछा गया कि संकट के समय पीएम मोदी ने उनकी कैसे मदद की, तो उन्होंने कहा कि मैं निजी बातचीत और रिश्तों के बारे में बात नहीं करना चाहती। हालांकि, मैं कहूंगी कि मैं भारत के लोगों की लगातार मदद के लिए उनकी आभारी हूं।
ढाका द्वारा बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग के बीच, उनके बेटे साजीब वाजेद ने भी कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हमेशा आभारी हैं। 20 नवंबर को आईएएनएस से बात करते हुए साजीब वाजेद ने भारत के समर्थन के लिए आभार जताया। उन्होंने कहा कि मैं पीएम मोदी का हमेशा आभारी रहूंगा। उन्होंने मेरी मां की सुरक्षा सुनिश्चित की और उनकी जान बचाई। वह उन्हें कड़ी सुरक्षा में भी रख रहे हैं। मैं भारत सरकार और भारत के लोगों का आभारी हूं।
पिछले हफ्ते, अवामी लीग के संयुक्त महासचिव बहाउद्दीन नसीम ने कहा था कि ऐतिहासिक रूप से भारत-बांग्लादेश का एक सच्चा और भरोसेमंद दोस्त रहा है।
यह याद दिलाते हुए कि भारत 6 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश की आजादी को मान्यता देने वाला पहला देश बना था, उन्होंने कहा कि यह मान्यता ऐसे समय में मिली जब पाकिस्तान की सेनाएं क्रूर नरसंहार, बलात्कार, आगजनी, लूटपाट और मानवता के खिलाफ दूसरे अपराध कर रही थीं और जब लाखों लोगों को शरणार्थी बनकर भागने पर मजबूर होना पड़ा था।
नसीम ने कहा कि भारत की पहचान दबे-कुचले लोगों के साथ खड़े होने का एक मजबूत उदाहरण थी। भारत के राजनीतिक नेतृत्व, सशस्त्र बलों और आम लोगों द्वारा दिखाए गए बलिदान और दया को बंगाली राष्ट्र हमेशा गहरी कृतज्ञता के साथ याद रखेगा।
इससे पहले नवंबर में बांग्लादेश के पूर्व मंत्री और अवामी लीग के नेता मोहम्मद अली अराफात ने मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की आलोचना करते हुए कहा था कि इस्लामी चरमपंथियों द्वारा समर्थित सरकार पार्टी के भारत के साथ संबंधों को कभी नहीं समझेगी।
अराफात ने एक्स पोस्ट में कहा था कि भारत के साथ हमारे संबंध सिर्फ 1971 पर आधारित नहीं हैं, बल्कि कई मोर्चों पर हमारे आपसी हितों पर भी आधारित हैं, जिसमें घरेलू और अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी समूहों से मिलकर लड़ना शामिल है। शेख हसीना के नेतृत्व में सरकार ने न सिर्फ भारत के साथ भूमि सीमा समझौता किया, बल्कि बहुत सम्मानजनक और रचनात्मक बातचीत के जरिए समुद्री सीमा मुद्दे को भी सुलझाया।
उन्होंने आगे कहा कि कई पड़ोसी देशों ने ऐसे मामलों पर लंबी लड़ाई लड़ी है, जबकि बांग्लादेश और भारत ने उन्हें शांति से सुलझाया। संचार और ऊर्जा क्षेत्रों में हमारे सहयोग से दोनों तरफ के लोगों को भी काफी फायदा हुआ है।

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने संकटकाल में समर्थन के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद दिया
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