राजस्थान की आटा मिलें खतरे में, सरकार से टैक्स हटाने की गुहार

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जयपुर। राजस्थान की आटा मिलों पर बड़ा संकट आ गया है! यहां आटा, मैदा और सूजी पर जो फालतू टैक्स लग रहा है, उसकी वजह से करीब 80 फीसदी मिलें बंद होने की कगार पर हैं। दरअसल, राजस्थान में आटा मिलों को 1.60 फीसदी मंडी टैक्स और 0.5 प्रतिशत किसान कल्याण शुल्क देना पड़ रहा है। इसकी वजह से उनकी लागत बढ़ जाती है। वहीं, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और गुजरात जैसे राज्यों में ऐसा कोई टैक्स नहीं है। इसलिए वहां का आटा-मैदा राजस्थान में 80 से 100 रुपए प्रति क्विंटल सस्ता बिक रहा है। इस वजह से राजस्थान की मिलें उनसे मुकाबला नहीं कर पा रही हैं।हालत यह है कि राजस्थान की मिलों को 2700 रुपए प्रति क्विंटल में गेहूं खरीदना पड़ रहा है, जबकि मैदा 2800 रुपए प्रति क्विंटल में बिक रहा है। यानी, जितना खर्चा आ रहा है, उतना ही या उससे भी कम में बेचना पड़ रहा है।
राजस्थान रोलर फ्लोर मिल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष गोविन्द ग्रोवर और जोधपुर के बड़े कारोबारी पंकज लोढ़ा जैसे लोगों ने सरकार को कई बार इस बारे में बताया है, लेकिन सरकार ध्यान ही नहीं दे रही है। विनायक ट्रेडिंग के सतीश मोदी का कहना है कि अगर सरकार ने जल्दी कोई फैसला नहीं लिया, तो बाकी बची आटा मिलें भी बंद हो जाएंगी।प्रदेश के सभी मिल मालिकों ने मिलकर सरकार से मांग की है कि राजस्थान की आटा मिलों को मंडी टैक्स और किसान कल्याण शुल्क से तुरंत छुटकारा दिलाया जाए, ताकि ये मिलें फिर से चल सकें। उनका कहना है कि अगर सरकार ने उनकी बात नहीं सुनी तो हजारों लोगों का रोजगार छिन जाएगा और प्रदेश में आटे-मैदे की कीमतें भी बढ़ सकती हैं।

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