फसल अवशेष जलाने पर लगेगा जुर्माना

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कोटा। पर्यावरण विभाग द्वारा वायु (प्रदूषण नियत्रंण एवं रोकथाम) अधिनियम के तहत फसल अवशेष जलाने को प्रतिबंधत किया गया है। जिसका उल्लंघन करने पर राजस्थान राज्य प्रदूषण मण्डल के अनुसार 2 एकड़ से कम भूमि वाले किसानों पर 2500 रूपये, 2 से 5 एकड़ भूमि वाले किसानों पर 5000 रूपये तथा 5 एकड़ से अधिक भूमि वाले किसानों पर 15 हजार रूपये जुर्माने का प्रावधान है।
संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार रमेश चंद चंडक ने बताया कि कोटा जिले में खरीफ फसलों की कटाई करने के कारण खेतों में फसल अवशेष (पराली) जलाने की घटनाएॅ बढ़ सकती है। फसलों के अवशेष जलाने से भूमि की उर्वरता शक्ति घटने के साथ ही मृृदा में उपस्थित सूक्ष्म जीवों की संख्या में निरन्तर कमी आ रही है। परिणामस्वरूप उन्नत किस्मों, उर्वरकों का समुचित प्रयोग करने के उपरंात भी फसलों की पैदावार में वृृद्वि नहीं हो पा रही है। साथ ही, फसल अवशेष (पराली) जलाने से विभिन्न हानिकारक गैसे जैसे मिथेन, कार्बन डाईआक्साइड, सल्फर डाई आक्साइड भारी मात्रा में वातावरण में फैलने से मनुष्यों में केंसर, अस्थमा तथा अन्य हानिकारक बीमारियां होने की संभावना रहती है।
उन्होंने बताया कि फसल अवशेषों को जलाने के बजाय मृृदा में मिला देने से मृृदा की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक दशा में सुधार होगा। फसलों की पैदावार बढ़ेगी और मृृदा का स्वास्थ्य लम्बे समय तक अच्छा बना रहेगा। इसके लिए कृृषि विभाग द्वारा कृृषकों को समय-समय पर समझाइश की जा रही है। इसके बावजूद भी यदि कृृषक खेतों में पराली जलाते हैं तो प्रशासन की ओर से सख्ती बरती जाएगी।
उन्होंने सभी किसानों से आह्वान किया है कि फसल अवशेषों को जलाने के बजाय स्ट्रारीपर के द्वारा चारा बनाकर अतिरिक्त आमदनी कमाएं तथा शेष अवशेषों को रोटावेटर से गहरी जुताई कर मिट््टी में मिला दें, जिससे मृृदा में कार्बनिक पदार्थो, जीवांश प्रदार्थों की मात्रा बढे़गी जिससे फसलों की पैदावार भी बढ़ेगी। इसके लिए कृषि विभाग द्वारा कृृषकों को उन्नत कृृषि यन्त्र यथा स्ट्रारीपर, रोटावेटर अनुदान पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैैं।’

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