श्रीगंगानगर। कृषि विभाग की टीम द्वारा फ़तूही गांव में बीटी कपास में गुलाबी सुंडी प्रबंधन पर कृषक जागरूकता कार्यक्रम के तहत किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान विभागीय अधिकारियों द्वारा किसानों को बीटी कपास की खेती में गुलाबी सुंडी प्रबंधन पर जानकारी दी गई।
संयुक्त निदेशक डॉ. सतीश शर्मा ने किसानों को कृषि विभाग द्वारा अनुमोदित कम अवधि वाली किस्म की ही बुवाई करने तथा बीटी बीज क्रय करते समय दुकानदार से पक्का बिल लेने हेतु सलाह दी। उन्होंने उपस्थित कृषकों को इस गोष्ठी में प्राप्त ज्ञान को गली, मोहल्ले व चौपाल के अन्य किसानों के साथ साझा करने की सलाह दी। किसानों को अपने खेतों में रबी फसलों के अवशेषों को नहीं जलाने हेतु प्रेरित करते हुए उन्हांने कहा कि डी-कंपोजर के उपयोग से फसल अवशेषों को अपने खेतों में ही गला-सड़ा कर कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ाएं, जिससे फसल उत्पादन बढ़ेगा।
गोष्ठी में सहायक कृषि अधिकारी ताराचन्द लिम्बा ने बीटी कपास की खेती में गुलाबी सुंडी प्रबंधन पर जानकारी देते हुए बताया कि किसानों को अपने खेतों में से गत फसल के अवशेषों को नष्ट कर देना चाहिए। बनछटियों के ढेर में अधखिले टिंडों में गुलाबी सुंडी के लार्वा निष्क्रिय अवस्था में छुपे हुए हैं। इस अवस्था को डायपोज कहते हैं। इसलिए इन्हें उन खेतों में न रखें, जहां पर खरीफ 2025 में बीटी कपास की बुवाई करनी है। संभव हो तो इन लकड़ियों को पलट दें।
सहायक निदेशक कृषि सुरजीत बिश्नोई ने बीटी कपास बुवाई के पश्चात खेत के सर्वेक्षण पर बल दिया। उन्होंने किसानों को अपने खेतों में फेरोमेन ट्रैप लगाकर निगरानी रखने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि खरीफ-2024 में जिन किसानों ने गुलाबी सुंडी नियंत्रण की किसान गोष्ठियों में भाग लेकर नियंत्रण के उपाय अपनाएं, उन्होंने बीटी कपास का अच्छा उत्पादन लिया।
सहायक निदेशक (कृषि विस्तार) सुशील कुमार शर्मा ने किसानों को मिट्टी, पानी की जांच की विस्तृत जानकारी दी और मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर ही अपने खेतों में संतुलित उर्वरक उपयोग की सलाह दी। उन्होंने गुलाबी सुंडी के जीवन चक्र की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि गुलाबी सुंडी के दो तरीके के जीवन चक्र होते हैं। बीटी कपास की खड़ी फसल में इसका छोटा जीवन चक्र होता है, जिसकी अवधि 25 से 30 दिन की ही होती है जबकि फसल कटाई के उपरांत अगली फसल के आने तक गुलाबी सुंडी का जीवन चक्र लंबा हो जाता है। इसमें यह शीत निष्क्रियता रूपी सुषुप्तावस्था में 137 दिन तक रह सकती है।
सहायक कृषि अधिकारी विजय चुघ ने बीटी कपास की उन्नत शस्य क्रियाओं, अनुमोदित किस्म, बीज दर, संतुलित उर्वरक उपयोग तथा पौधे से पौधे और लाइन से लाइन की दूरी के बारे में विस्तार से बताया। गोष्ठी में बडी संख्या में किसान मौजूद रहे।

कृषक जागरूकता कार्यक्रम के तहत फतूही में किसान गोष्ठी का आयोजन
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