जयपुर। किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद केंद्रों पर किसानों की “लूट” के लिए जिम्मेदार सरकारी नीतियों में बदलाव की मांग करते हुए प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है।जाट के अनुसार, कृषि उपज मंडियों में 15 फरवरी से सरसों की आवक शुरू होने के लगभग दो महीने बाद, 10 अप्रैल से खरीद की घोषणा की गई है। इससे किसानों को MSP से 700 रुपए प्रति क्विंटल तक का नुकसान उठाकर अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा है। चने की स्थिति भी ऐसी ही है।
जाट ने पत्र में कहा है कि राजस्थान में 8,187 ग्राम सेवा सहकारी समितियों के बावजूद, केवल 505 खरीद केंद्र स्थापित किए गए हैं। यह 6.3% से भी कम है, जबकि 10 अक्टूबर 2019 के एक समझौते में प्रत्येक समिति में एक केंद्र स्थापित करने का वादा किया गया था। कुल उत्पादन का केवल 25% खरीदने की सीमा ने 75% चने और सरसों को MSP खरीद से बाहर कर दिया है। जाट ने इसे 100 लोगों के लिए 25 कुर्सियों वाली दौड़ के समान बताया, जहां मजबूत लोग लाभ उठाते हैं और कमजोर लोग वंचित रह जाते हैं। उन्होने कहा कि सहकारिता मंत्री गौतम कुमार दक द्वारा जारी उत्पादन के आंकड़े कृषि विभाग के अनुमानों से भिन्न हैं, जो किसानों के प्रति सरकार की उदासीनता को दर्शाता है।
जाट ने 2004 के उदाहरण का हवाला दिया जब कम बाजार मूल्य होने पर सहकारी विभाग ने MSP तक खरीद जारी रखने का आश्वासन दिया था। उन्होंने 25% खरीद सीमा को हटाने और “दाने-दाने” की खरीद सुनिश्चित करने का आग्रह किया।उन्होंने तिलहन के लिए मूल्य कमी भुगतान योजना जैसे विकल्पों का भी सुझाव दिया, जहां किसानों को भावांतर भुगतान के माध्यम से नुकसान की भरपाई की जा सकती है। जाट ने प्रधानमंत्री से “लूट और भ्रष्टाचार मुक्त” खरीद सुनिश्चित करने और किसानों को हुए नुकसान की भरपाई करने का आग्रह किया है। यह पत्र 21 मार्च, 2025 को