संस्कार और चरित्र निर्माण की पाठशाला है परिवार

ram

परिवार के सम्बन्ध में देशभर से मिल रही ख़बरे बेहद चिंताजनक है। परिवार को हमारे समाज में सामाजिक और सार्वभौमिक संस्था के रूप में स्वीकारा गया है। अनुशासन, आपसी स्नेह और भाईचारा तथा मर्यादा, परिवार को एक खुशहाल परिवार बना देता है। बुजुर्गों का कहना है जिस परिवार में एकता की भावना होती है, उसी घर में ही सुख-शांति और सम्पन्नता का निवास होता है। यही सामाजिक संस्था आज खंडित होने की स्थिति में है। परिवार और बिखरते रिश्ते आज समाज की एक जटिल सच्चाई बन गए हैं। परिवार की व्यवस्था आज की नहीं है, बल्कि ऋषि-मुनियों की देन है। लेकिन आज दरकते रिश्तों से परिवार व्यवस्था टूट रही है जो समाज के लिए ठीक नहीं है। आज भी देश और दुनियां, परिवार और संयुक्त परिवार की अहमियत को लेकर विवादों में उलझी है। भारत में संयुक्त परिवार प्रणाली बहुत प्राचीन समय से ही विद्यमान रही है। वह भी एक जमाना था जब भरा पूरा परिवार हँसता खेलता और चहकता था और एक दूसरे से जुड़ा रहता था। बच्चों की किलकारियों से मोहल्ला गूंजता था। पैसे कम होते थे पर उसमे भी बहुत बरकत होती थी। घर में कोई हंसी खुशी की बात होती थी तो बाहर वालों को बुलाने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी। आज परिवार छोटे हो गए हैं और टूटते जा रहे हैं। हमारे रिश्ते बिखरते जा रहे हैं। संयुक्त परिवार की आज के समय में महती आवश्यकता है। संयुक्त परिवारों के अभाव में भाईचारा एवं पारिवारिक वातावरण खत्म होने लगा है। परिवार में रिश्तो की नीरसता और संवादहीनता को दूर करने परस्पर भाईचारे व तालमेल को बैठाने के लिए रिश्तो में सकारात्मक सोच को बढ़ाने की जरुरत है। परिवार के सभी छोटे हुए बड़े सदस्यों की भावनाओ का सम्मान करे तथा दिन भर घटित होने वाली छोटी-छोटी बातों और दुख-सुख को आपस में बांटे करे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *