कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में उठा EVM का मुद्दा, ये सब फ्रॉड है, हर संस्था में अपना वर्चस्व बढ़ा रही सरकार : खड़गे

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कांग्रेस अहमदाबाद में दो दिवसीय सीडब्ल्यूसी बैठक कर रही है। इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार के खिलाफ़ अपना अभियान तेज़ कर दिया है। अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार की योजनाएं विफल हैं क्योंकि बेरोज़गारी का मुद्दा अभी भी बड़ा बना हुआ है। देश में ख़तरा यह है कि पूरे भारत में बेरोज़गारी बहुत ज़्यादा है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री देश के ग़रीबों के बारे में नहीं सोच रहे हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी देश की अखंडता की रक्षा करेगी और सभी समाजों के कल्याण के लिए काम करेगी।

खड़गे मे आगे कहा कि पूरी दुनिया के विकसित देश EVM को छोड़कर बैलेट पेपर की तरफ चले गए हैं। दुनिया में तमाम देश EVM का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, लेकिन हम EVM पर निर्भर हैं। ये सब फ्रॉड है। सरकार ने ऐसे तरीके ईजाद कर लिए हैं, जिससे सिर्फ उन्हें ही फायदा मिल रहा है, लेकिन आने वाले समय में देश के नौजवान उठ खड़े होंगे और कहेंगे कि हमें EVM नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सोच है कि न किसी को हिमालय की चोटी पर बैठाना है और न किसी को पाताल में धकेलना है। ये गांधी जी के शब्द हैं और इस बात को आज मैं इसलिए दोहरा रहा हूं, क्योंकि आज देश में हालात ऐसे हैं, जहां गरीब और अमीर के बीच की खाई बढ़ती जा रही है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सांप्रदायिक संस्थाओं, उनके जहरीले सिद्धांतों तथा कामों का सही उत्तर ये होगा कि कांग्रेस प्रबल जनमत तैयार करे ताकि वे प्रभावहीन हो जाएं। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 11 वर्ष में सत्ताधारी दल संविधान पर चोट कर रहा है। हमारे संवैधानिक मूल्यों, संवैधानिक प्रावधानों, संवैधानिक संस्थाओं पर लगातार हमला हो रहा है और इसको रोकना जरूरी है। हाल में हुए संसद के बजट सत्र में सरकार ने मनमाने तरीके से सदन चलाया। सदन में नेता विपक्ष राहुल गांधी जी को बोलने नहीं दिया गया। लोकतंत्र में यह लज्जा की बात है। ये दिखाता है कि मौजूदा सरकार किस मानसिकता के साथ चल रही है, इसलिए हमें आवाज उठाना जरूरी है, क्योंकि आज जो हो रहा है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ।

खड़गे ने दावा किया कि जन सरोकार के जरूरी मुद्दों पर बहस करने के बजाय सरकार सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए रात के तीन-चार बजे तक संसद में बहस कराती रही और मणिपुर जैसे मुद्दे पर रात के साढ़े चार बजे बहस शुरू होती है। हमने हमेशा मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा करनी चाही, लेकिन कभी भी सरकार इसके लिए नहीं मानी। इसका मतलब है कि सरकार जनता से अपनी नाकामी छिपाना चाहती है। जब देश के लोग सो रहे थे, तब कई महत्वपूर्ण बिल आधी रात को सदन में लाए गए। यह सरकार आहिस्ता-आहिस्ता लोकतंत्र को खत्म कर रही है।

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