हर गिरफ्तारी और हिरासत का अर्थ उत्पीड़न नहीं : इलाहाबाद उच्च न्यायालय

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में दिए एक निर्णय में कहा है कि प्रत्येक गिरफ्तारी और हिरासत का अर्थ व्यक्ति का हिरासत में उत्पीड़न नहीं है। इस टिप्पणी के साथ अदालत ने महराजगंज जिले के शाह फैसल नाम के व्यक्ति की ओर से दायर रिट याचिका खारिज कर दी। याचिकाकर्ता ने पुलिस द्वारा हिरासत में कथित तौर पर किए गए अमानवीय व्यवहार के लिए राज्य सरकार से मुआवजा दिलाने की मांग की थी। इस मामले में याचिकाकर्ता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी, जिसमें आरोप था कि उसने डंडे से ऋषिकेश भारती नाम के एक व्यक्ति को पीटा था। उसे इस मामले में पूछताछ के लिए पुलिस द्वारा थाने में बुलाया गया।

बाद में शाह फैसल ने शिकायत की कि उसके साथ थाने में अमानवीय व्यवहार किया गया, जिस पर पुलिस अधीक्षक ने इस आरोप की जांच शुरू की और जांच में पुलिसकर्मियों के खिलाफ कुछ भी ऐसा नहीं मिला। न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने कहा, “याचिकाकर्ता के किसी मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं किया गया है। यह नहीं कहा जा सकता कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने अपराध का दमन करने के लिए सीमा लांघी।” याचिका में अदालत से महराजगंज के पुलिस अधीक्षक को दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

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