सस्ते के चक्कर में कभी कभी महंगा सौदा हो जाता है। रूस ने इस कहावत के जरिए भारत को आगाह किया कि अगर उसने सही समय पर निर्णय नहीं लिया तो ये फैसला आने वाले वक्त में भारत के लिए महंगा साबित हो सकता है। रूस ने साफ साफ भारत को चेतावनी दी कि अमेरिका और पश्चिमी देश भारत के स्वदेशीकरण का अध्ययन कर रहे और अपनी रणनीतियां बना रहे हैं। लेकिन इससे ठीक उलट रूस भारत के साथ सहयोग कर उनके रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने में ईमानदारी से मदद करना चाहता है। रूसी थिंक टैंक कॉरनोगी मॉस्को सेंटर के अनुसार अमेरिका और पश्चिमी देश ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (टीओटी) के नाम पर भारत को केवल भ्रमित कर रहे हैं। उनका उद्देश्य भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करना नहीं बल्कि उनका अध्ययन करना है। जिससे वो भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता के खिलाफ जवाबी रणनीतियां बना सके।
रूस का ये भी दावा है कि पश्चिम देश तकनीक ट्रांसफर की बात करते हैं लेकिन उनकी शर्तें इतनी कड़ी और जटिल हैं कि भारत को इसका वास्तविक लाभ नहीं मिल पाएगा। दूसरी ओर रूस ने हमेशा से भारत के साथ खुले दिल से सहयोग किया है। चाहे वो ब्रह्मोस मिसाइल हो, सुखोई फाइटर जेट हो या टैंक का निर्माण करना हो। रूस ने भारत के साथ एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखा है जिसमें रूस भारत को ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलाजी देने को तैयार है। हथियारों का निर्णाण भारत में किया जाएगा। ये मॉडल पहले से सफल है, जैसे की ब्रह्मोस मिसाइल और सुखोई फाइटर जेट। रूस ने कहा कि मौजूदा युद्ध के चलते उसकी निर्यात क्षमता जरूर प्रभावित हुई है। लेकिन भारत में प्रोडक्शन की क्षमता और रूस की ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलाजी के साथ मिलकर इसे आसानी से हल किया जा सकता है।

भारत को फंसाने में लगा यूरोप, बीच में रूस ने ली धांसू एंट्री
ram