जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक

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कोटा। आगामी मॉनसून में अत्यधिक वर्षा होने पर संभावित बाढ़ एवं जल भराव की स्थिति से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन से जुड़ी तैयारियों की समीक्षा करते हुए जिला कलक्टर डॉ. रविन्द्र गोस्वामी ने आवश्यक उपकरणों एवं संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चत करने के निर्देश दिए। उन्होंने संवेदनशील स्थानों के चिन्हिकरण के साथ ही रेस्क्यू टीमें तैयार रखने, फ्लड कंट्रोल रूम बनाने, विस्थापित लोगों के पुनर्वास, पर्याप्त मात्रा में रेत के कट्टों की व्यवस्था करने एवं आपदा प्रबंधन से जुड़े समस्त प्रोटोकॉल की पूर्ण पालना के निर्देश दिए।
डॉ. गोस्वामी बुधवार को कलेक्ट्रेट स्थित न्यू सभागार में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि रेस्क्यू टीमें पूरे संसाधनों के साथ तैयार रखी जाएं ताकि आपदा की स्थिति में बचाव कार्य तुरंत शुरू किए जा सकें। उन्होंने समस्त बांधों, तालाबों एवं अन्य वाटर बॉडीज की पर्याप्त निगरानी रखने के साथ ही पंचायती राज विभाग के अधीन तालाबों की पाल, मोरिया एवं गेट आदि का भौतिक सत्यापन करने के निर्देश दिए। उन्होंने बांधों-तालाबों पर रेत के कट्टों, नावों, गोताखोरों, रस्सों, टॉर्च आदि की व्यवस्था रखने, डाउन स्ट्रीम की बस्तियों का निरीक्षण करने, निचले स्थानों पर चेतावनी बोर्ड लगाने एवं जल भराव की स्थिति में लोगों का अन्य स्थानों पर पुनर्वास करने के लिए धर्मशाला, आश्रय स्थल आदि चिन्हित करने तथा पानी निकालने के लिए पंप सेट की व्यवस्था करने के निर्देश दिए।
जिला कलक्टर ने कहा कि गैपरनाथ, भवरकुंज, कर्णेश्वर महादेव, चट्टानेश्वर महादेव सहित अन्य प्रमुख पिकनिक स्थलों पर चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं एवं भीड़ को रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की जाए। उन्होंने वहां ड्रेगन लाइट, रस्से, गोताखोर आदि की व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने निचले क्षेत्रों में जल भराव पर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के पर्याप्त इंतजाम करने एवं गैर सरकारी संगठनों, दान-दाताओं व भामाशाहों के साथ समन्वय स्थापित कर विस्थापित लोगों के लिए भोजन-पानी के इंतजाम के निर्देश जिला रसद अधिकारी एवं उपखंड अधिकारियों को दिए। नगर निगम के अधिकारियों को समय पर नालों की पर्याप्त सफाई करने को कहा।
उन्होंने जिले में स्थित सभी छोटे-बड़े बांध, जलाशयों आदि का जल संसाधन विभाग के अभियंताओं की मौजूदगी में सर्वे करवाने के निर्देश दिए। साथ ही, उन्होंने कोटा बैराज के गेट खोले जाने एवं कालीसिंध से पानी छोड़े जाने की समय रहते पूर्व सूचना देने को कहा ताकि प्रभावित क्षेत्र के लोगों को अलर्ट किया जा सके। उन्होंने कहा कि पुलिया एवं रपट पर 15 सेमी से ऊपर पानी बहने पर समस्त वाहनों एवं पैदल जाने वालों का आवागमन रोक दिया जाए।
जिला कलक्टर ने विद्युत वितरण निगम एवं केईडीएल के अधिकारियों को ढीले तारों को कसने, बाढ़ की स्थिति में विद्युत व्यवस्था सुचारू बनाए रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में ट्रांसफार्मर, पोल, कण्डक्टर एवं अन्य उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने खतरे वाले जल स्त्रोतों एवं जर्जर पुलिया पर चेतावनी बोर्ड लगाने, शिक्षा विभाग के अधिकारियों को जर्जर स्कूल बिल्डिंग का सर्वे कर रिपोर्ट तैयार करने, निगम एवं नगरपालिकाओं को खतरनाक भवनों की सूची बनाने तथा ओपन मैनहॉल-नालों आदि को ढंकने के निर्देश दिए। उन्होंने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को मोबाइल टीमें बनाने, क्लोरीन की टैबलेट एवं अन्य जीवन रक्षक दवाओं के साथ ही मौसमी बीमारियों से निपटने के भी पूरे इंतजाम रखने तथा पशुपालन विभाग को पशुओं में फैलने वाली मौसमी बीमारियों की रोकथाम एवं चारे-पशु आहार आदि के लिए व्यवस्थाएं करने को कहा।
डॉ. गोस्वामी ने आपदा प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों का एक व्हाट्स एप ग्रुप बनाकर उसमें जरूरी सूचनाओं एवं दिशा-निर्देशों का आदान-प्रदान करने के साथ ही, सेना एवं वायुसेना के साथ समन्वय रखने को कहा ताकि आपातकालीन परिस्थितियों में मदद ली जा सके। बाढ़ नियंत्रण कक्ष में उन्होंने बचाव दल एवं संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा।
बैठक में अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रशासन) मुकेश चौधरी, जिला परिषद सीईओ अशोक त्यागी, नगर निगम दक्षिण आयुक्त सरिता, उपखंड अधिकारी, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी, पीडब्लूडी, जल संसाधन, रसद, शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, पुलिस, एसडीआरएफ, नागरिक सुरक्षा, आरएसी, मौसम विभाग सहित आपदा प्रबंधन से जुड़े समस्त विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

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