कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने के लिए हुई चर्चा

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उदयपुर। राष्ट्रीय महिला आयोग नई दिल्ली एवं महिला अधिकारिता, आईसीडीएस उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान एवं जिला कलक्टर के निर्देशन में एचसीएम रीपा परिसर में शुक्रवार को कार्यस्थल पर उत्पीड़न अधिनियम-2013 अन्तर्गत एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ।
राष्ट्रीय महिला आयोग नई-दिल्ली से नामांकित संदर्भ व्यक्ति भाविका शर्मा ने बताया कि 2013 में, भारत सरकार ने कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 लागू किया, जिसे पोश अधिनियम भी कहा जाता है। यह अधिनियम कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने के लिए उपाय करने के लिए संगठन और नियोक्ता को जिम्मेदार ठहराता है। साथ ही बताया कि यदि कानून का पालन नहीं किया जाता है, तो संगठन को पहली बार अपराध करने पर 50000 रुपये का जुर्माना और बार-बार अपराध करने पर व्यवसाय लाइसेंस रद्द करने जैसे भारी दंड का सामना करना पड़ सकता है।
राष्ट्रीय महिला आयोग नई-दिल्ली से नामांकित संदर्भ व्यक्ति अजूनी सिंह ने कहा कि महिला कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा और कार्यस्थल पर समानता सुनिश्चित करने की दिशा में ऐसे प्रशिक्षण उपयोगी है। सिंह ने बताया कि आंतरिक समिति के सदस्यों को जांच प्रक्रिया और निवारण तंत्र पर विशिष्ट प्रशिक्षण से गुजरना होगा। उन्होंने आईसी, उसकी जिम्मेदारियां और उनके संगठन के आईसी सदस्यों के नाम और विवरण, शिकायत दर्ज करने का तरीका, यौन उत्पीड़न के लिए दंड, ऑनलाइन/आभासी यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए सुझाव आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर एमसीएम रीपा की अतिरिक्त निदेशक रागिनी डामोर ने भी विचार रखे। प्रशिक्षण में संदर्भ व्यक्ति विनय कुमार ने लैंगिक समानता पर प्रकाश डाला।
महिला अधिकारिता उपनिदेशक संजय जोशी ने कार्यक्रम में उपस्थित प्रशिक्षणार्थियों व संदर्भ व्यक्तियों का स्वागत करते हुए कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम-2013 के प्रावधानों की जानकारी प्रदान की व कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।प्रशिक्षण में आईसीडीएस, महिला अधिकारिता, चिकित्सा, शिक्षा, पुलिस व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, उद्योग व पंचायती राज विभाग तथा नगर निगम से विभिन्न अधिकारियों सहित लगभग 100 हितधारकों ने भाग लिया। संचालन देवकिशन परमार एवं विमला वीरवाल ने किया। आभार अशोक मेघवाल ने जताया।

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