सम्पत्तियों के पंजीकरण में ब्लैक मनी की रोकथाम के लिए उप रजिस्ट्रार चौकस रहें— सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान हाई कोर्ट के आदेशों की अक्षरश: पालना करने के दिए निर्देश

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जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ द्वारा एस.बी. मिससेलेनिअस पिटीशन क्रमांक 6580/2024 ओमप्रकाश बनाम राज्य तथा अन्य 28 याचिकाओं में गत 21 मई को पारित आदेश के कम में समस्त लोक कार्यालयों/लोक प्राधिकारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने पदीय कर्तव्यों का निवर्हन में उनके समक्ष प्रस्तुत दस्तावेजों पर स्टाम्प ड्यूटी व अन्य शुल्कों की वसूली एवं अन्य विधिक दायित्वों का निर्वहन करने हेतु आपस में समन्वय स्थापित कर राजस्थान स्टाम्प अधिनियम, 1998, भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899, रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1908. सम्पत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882. भारतीय सविदा अधिनियम, 1882 तथा आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों की अक्षरश पालना सुनिश्चित करावें। वित्त विभाग (राजस्व) के शासन सचिव कुमार पाल गौतम ने बताया कि उच्चतम न्यायालय द्वारा सिविल अपील संख्या 5200/2025 द कॉरेसपोंडेंस पीबीएएनएमएस एज्युकेशनल इन्स्टीट्यूशन बनाम बी. गुणाशेखर में गत 16 अप्रेल को पारित निर्णय में निर्देश दिए हैं कि यदि किसी संव्यवहार में नकद लेनदेन के लिए आयकर अधिनियम द्वारा निर्धारित अधिकतम राशि से अधिक राशि के नकद लेनदेन का तथ्य उप-रजिस्ट्रार के संज्ञान में आता है तो ऐसे उप-रजिस्ट्रार द्वारा इस तथ्य को अविलम्ब आयकर विभाग के संबंधित प्राधिकारी को सूचित किया जाएगा। यदि उप-रजिस्ट्रार ऐसे तथ्यों को सूचित करने में असफल रहता है तो उसके विरूद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। गौतम ने सभी उप-रजिस्ट्रारों को निर्देशित किया है कि वे उच्चतम न्यायालय द्वारा इस प्रकरण में पारित निर्देशों की गंभीरता से पालना सुनिश्चित करें।

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