पहले दुनिया में एक ही आतंकवादी देश पाकिस्तान हुआ करता था। लेकिन अब एक और देश कनाडा उस लिस्ट में खुद को शामिल कराने के लिए बेकरार नजर आ रहा है। भारत के विदेश मंत्रालय ने कनाडा को वैसा ही जवाब दिया है जैसा भारत अक्सर पाकिस्तान को देता है। वजह है कनाडा की ट्रूडो सरकार जिसने पाकिस्तान की तरफ चरमपंथ को बढ़ाने का फैसला किया है। लेकिन भारत ने एक फैसला लेकर चरमपंथियों का इलाज शुरू कर दिया है। सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत और कनाडा के संबंध बद से बदतर होते जा रहे हैं। भारत ने कनाडा से भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा समेत अन्य राजनयिकों को वापस बुला लिया। इसके साथ ही भारत ने कनाडा के छह राजनयिकों को देश से निष्कासित भी कर दिया। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो वैसे तो पिछले कई साल से देश की बागडोर संभाल रहे हैं। लेकिन लगता है कि इसके बावजूद उन्हें विदेश नीति की एबीसीडी की भी पूरी जानकारी नहीं है। कनाडा में अपने चुनावी फायदे के लिए भारत से दुश्मनी तो सिर्फ बानगी है ट्रूडो ने इससे बड़े बड़े कारनामे किए हैं।
बात अगर भारत संग संबंधों की करें तो कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने खालिस्तानी प्यार में भारत जैसे भरोसमंद साथी को उकसा दिया। खालिस्तान टाइगर फोर्स के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारतीय एजेंट पर लगाकर ट्रूडो कनाडा में चुनाव जीतना चाहते हैं। कनाडा का कहना है कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार का हाथ है। हालांकि कनाडा अभी तक कोई ठोस सबूत सार्वजनिक नहीं कर सका। जस्टिन ट्रूडो की कूटनीतिक अज्ञानता का सबूत है कि जो मसले बंद कमरे में सुलझते हैं उसपर वो सार्वजनिक बयानबाजी कर रहे हैं।

Pakistan की राह पर चल रहा कनाडा, खालिस्तान प्रेम में कहीं उसी तरह अलग-थलग न हो जाए
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