उनियारा-देवली विधानसभा उपचुनाव, स्थानीयवाद का नारा कहीं भारी न पड़ जाए..

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देवली। टोंक जिले की उनियारा देवली विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तिथि की घोषणा अभी होना बाकी है लेकिन दोनों ही पार्टियों ने इस उपचुनाव को अपना प्रतिष्ठा का सवाल बनाकर शतरंज की बिसात पर गोटिया जमाना शुरू कर दिया है। उधर आम जनता में इस बार स्थानीय प्रत्याशी की बात चल पड़ी है।
2023 में कांग्रेस के हरीश मीणा यहां से विधायक चुने गए 2019 के चुनाव में भी उन्होंने चुनाव जीता था तब उनके सामने भाजपा से राजेंद्र गुर्जर मैदान में था इस चुनाव में दोनों ही प्रत्याशी बाहरी होने के कारण स्थानीय प्रत्याशी का मुद्दा नहीं बन पाया। कोई स्थानीय सशक्त बतोर निर्दलीय भी खड़ा नहीं हुआ।
2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हरीश मीणा दोबारा विधायक चुने गए इस चुनाव में भाजपा ने गुर्जर आंदोलन के बड़े नेता कर्नल किरोड़ी बैसला के पुत्र विजय बैसला को मैदान में उतारा था इस चुनाव में कांग्रेस छोड़कर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का दामन पकड़ने वाले प्रोफेसर विक्रम गुर्जर ने भी अच्छी टक्कर दी थी लेकिन यह तीनों प्रत्याशी बाहरी थे इसलिए चुनाव में स्थानीय वाद का नारा फिर नहीं चल पाया। स्थानीय मतदाताओं का मानना है कि बाहर का व्यक्ति हमारा नेता होगा तो हमें कई समस्या झेलनी पड़ेगी एक तो मिलने मिलाने की समस्या रहती है दूसरा विधायक से संपर्क साधना भी मुश्किल होता है स्थानीय व्यक्ति होने से समाज, परिवार सबका दबाव रहता है खुद विधायक भी सारी समस्याओं को समझता है इसीलिए इस बार गांव की चौपाल और नुक्कड़ पर किसी स्थानीय व्यक्ति को विधायक बनाने की बात चल रही है यह हवा कितनी चलेगी और आला कमान किसको इस आधार पर टिकट देगा यह कहना मुश्किल है।
कांग्रेस से इस चुनाव में पूर्व विधायक धीरज गुर्जर, पहलाद गुंजल, रामनारायण मीणा और धनराज गुर्जर सशक्त उम्मीदवार हैं इनमें से धनराज गुर्जर को छोड़कर तीनों प्रत्याशी बाहर के हैं वहीं दूसरी ओर भाजपा की ओर से राजेंद्र गुर्जर जगमोहन मीणा विजय बैसला पूर्व मंत्री प्रभु लाल सैनी, नरेश बंसल सीताराम पोसवाल राजकुमार मीणा को सशक्त प्रत्याशी माना जा रहा है इनमें से प्रभु लाल सैनी और नरेश बंसल स्थानीय हैं प्रभु लाल सैनी यहां से पूर्व में विधायक रह चुके हैं और वसुंधरा राजे सरकार में मंत्री भी रहे हैं।
मतदाताओं का कहना है कि इस क्षेत्र से कभी बाहर और स्थानीय की बात नहीं रही है हमेशा योग्य प्रत्याशी को चुनकर भेजा गया है लेकिन जनप्रतिनिधियो द्वारा किए गए भ्रष्टाचार और गुट बाजी को देखते हुए इस बार विधायक स्थानीय व्यक्ति को बनाने का फैसला लिया गया है। कहां जा रहा है कि यदि दोनों राजनीतिक दलों ने बाहरी व्यक्ति को टिकट दे दिया तो स्थानीय समाज एकत्र होकर किसी को मैदान में उतर सकता है।

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